दमोह: हटा नगर के बहुचर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में एडीजे कोर्ट ने 26 में से 25 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. एक आरोपी अभी भी फरार है. फैसला सुनाए जाने के दौरान हटा कोर्ट को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. सभी आरोपियों को आईपीसी की धारा 302/149 में आजीवन कारावास के साथ 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा, धारा 323/149 आईपीसी में एक-एक साल का कारावास एवं पांच-पांच सौ रुपये जुर्माना एवं धारा 148 में 3-3 वर्ष का कारावास एवं एक-एक हजार रुपये अर्थ दंड की सजा से दंडित किया गया है.
देवेंद्र चौरसिया की हुई थी हत्या
साल 2018 में दमोह जिले की पथरिया विधानसभा से जिला पंचायत की उपाध्यक्ष रामबाई परिहार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं. चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हटा निवासी देवेंद्र चौरसिया ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा में बहुजन समाज पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी. इसके बाद 2019 में देवेंद्र चौरसिया के गिट्टी क्रेशर प्लांट पर 19 लोगों ने उन पर पर कातिलाना हमला कर उनकी हत्या कर दी थी. वहीं उनके बेटे सोमेश चौरसिया को मरणासन्न हालात में छोड़कर फरार हो गए थे.
पुलिस ने देवेन्द्र के बेटे सोमेश चौरसिया के मृत्यु कालिक कथनों के आधार पर पथरिया की तात्कालीन विधायक रामबाई के पति गोविंद परिहार, उनके देवर कौशलेंद्र उर्फ चंदू परिहार, भतीजे गोलू परिहार सहित तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के बेटे और हटा जनपद अध्यक्ष इंद्रपाल पटेल समेत 19 लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया था. इसके बाद कोर्ट में चले मुकदमे में आरोपियों की संख्या 25 तक पहुंच गई.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
कमलनाथ सरकार के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मामले में दोबारा विवेचना के आदेश जारी किए थे. इसी बीच पुलिस प्रशासन एवं रामबाई के परिजनों के दबाव के चलते पीड़ित चौरसिया परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर हत्या का आरोपी बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस प्रशासन ने सख्ती की और गोविंद परिहार ने भिंड में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था.
एडवोकेट राम नारायण गर्ग ने बताया कि “देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में एडीजे कोर्ट ने 26 में से 25 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. एक आरोपी अभी भी फरार है जबकि एक आरोपी विकास पटेल को केवल आरोपियों को अपने घर में पनाह देने का आरोप था कोर्ट ने उसे रियायत देते हुए बरी कर दिया.”