देवउठनी ग्यारस के दिन इस महंगाई में हर सामान अन्य दिनों की अपेक्षा डबल भाव रहे देव उठनी ग्यारस पर बाजारों में अन्य सामान के साथ खूब बिके गन्ने भी

अरुण कुमार शेंडे

रायसेन जिले भर में वह पूरे हिंदुस्तान में आज देव उठनी ग्यारस बहुत ही धूमधाम वह बहुत ही श्रद्धा से मनाई गई दीपावली की तरह बाजारों में भीड उमड पडी और खूब गन्ने की खरीदारी की गई कल से ही बाजारों में गन्ने की आवक इतनी रही की हर चौक चौराहा वह रोड किनारे पर गन्ने के विक्रेता नजर आए वही आज देखा जाए तो गन्ने का भाव कहीं ₹100 के 3 नग कही 100 रुपए के 4 नग गन्ने बिके बाजारों में अन्य सामान की तरह पटाखे की बिक्री भी खूब देखी गई कहते हैं कि देवउठनी ग्यारस के दिन कुछ मुख्य सामान पूजा हेतु आवश्यकता पड़ती है पर इस महंगाई में हर सामान अन्य दिनों की अपेक्षा डबल भाव में रहे आज सीताफल का भाव भी ₹30 नग रहा है पटाखों की भी ब्रिकी खूब हुई आज देव उठनी ग्यारस का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है ऐसी धारणा है कि भगवान विष्णु हर साल असाढ महीने की एकादशी पर सोते हैं एवं कार्तिक एकादशी पर जागते हैं जागने वाली एकादशी को देवप्रबोधिनी कहा जाता है हालांकि कुछ मान्यता यह भी है कि भगवान सोते नहीं है बल्कि योग निद्रा मे रहते है ऐसी मान्यता भी है कि भगवान जब शयन मुद्रा में रहते है तब मांगलिक कार्य नहीं होते इस दौरान केवल पूजा अर्चना की जाती हैं भगवान के जागने के बाद ही शुभ मुहूर्त शुरू होते है आज देव उठनी ग्यारस पर गन्ने की पूजा अर्चना की जाती हैं इसके साथ ही शुभ मुहूर्त शुरू होते ही विवाह कार्यक्रम शुरू हो जाते है आज इस कडी मे सांची नगर के बाजार में खूब भीड़ देखी गई गन्ने की भी खूब ब्रिकी हुई हां कुछ गरीब परिवार के लोग जैसे बैंड बाजे वाले घोड़े वालों के दिन फिरने लगते हैं मांगलिक कार्य शुरू होने से उनकी मांग भी बढ़ जाती है जिससे उनकी भी रोजी रोटी चलने लगती है

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