शिवराज सिंह चौहान को नहीं मिली क्लिन चिट:राहुल गांधी को बताया था राष्ट्रीय शर्म, जिला निर्वाचन विभाग ने शुरू की जांच

 


बूंदी जिले में चुनाव सभा के दौरान राहुल गांधी को राष्ट्रीय शर्म बताने वाले बयान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी क्लीन चिट नहीं मिली है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य चर्मेश शर्मा की शिकायत पर निर्वाचन विभाग ने फिर से मामले की जांच शुरू कर दी है।

यह है पूरा मामला

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से कांग्रेस राहुल गांधी को 'राष्ट्रीय शर्म' कहे जाने के बाद अब मुद्दा गरमाने लगा है। बूंदी में इस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेसी नेताओं ने जिला निर्वाचन अधिकारी को शिकायत की। लेकिन निर्वाचन विभाग ने कांग्रेस की शिकायत को निरस्त कर दिया। इसको लेकर कांग्रेसी नेताओं ने अब निर्वाचन आयोग के खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी कर ली। कांग्रेसी नेताओं ने चुनाव आयोग के 'सी विजिल' ऐप पर भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की है। बता दें की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्थान में 22 नवंबर को अपनी चुनावी सभाओं के दौरान राहुल गांधी को राष्ट्रीय शर्म कहा था।

चुनाव आयोग का आचरण असहनीय है

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चर्मेश शर्मा ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाया है। उन्होंने संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग का संवैधानिक आचरण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने पर राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने नोटिस दिया। लेकिन बूंदी जिले के नैनवा क्षेत्र में आयोजित चुनावी सभा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी पर टिप्पणी की। फिर भी चुनाव आयोग ने शिवराज सिंह चौहान को नोटिस देने के स्थान पर घटना को बूंदी से बाहर की बात कर अपना पल्ला झाड़ दिया।

30 नवंबर को आमरण अनशन की घोषणा की

घटना को लेकर चर्मेश शर्मा ने चुनाव आयोग पर भेदभावपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि शिवराज सिंह चौहान की ओर से राहुल गांधी पर टिप्पणी करने के बाद कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को इस मामले की शिकायत की। लेकिन चुनाव आयोग ने नैनवा क्षेत्र में हुई शिवराज सिंह की सभा को बूंदी जिले के बाहर की घटना बात कर कार्रवाई निरस्त कर दी। इसको लेकर कांग्रेस में रोष व्याप्त है। इसको लेकर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने जिला निर्वाचन अधिकारी के नाम एडीएम हेमराज परिडवाल और चुनाव आयोग के नियंत्रण कक्ष में ज्ञापन दिया। जहां 30 नवंबर से चुनाव आयोग और बूंदी जिला निर्वाचन विभाग के खिलाफ कलेक्ट्रेट परिसर में आमरण अनशन की घोषणा की गई

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