शिवराज के गढ़ मैं कांग्रेस की सेंधमारी,भाजपा को लगा बड़ा झटका, जसपाल सिंह अरोरा कांग्रेस में हुए शामिल

 



MP Election 2023: विधानसभा चुनाव के नामांकन पत्रों की आज जांच हो रही है। दो नवंबर को नाम वापस लिए जा सकेंगे। नाम वापसी के पहले कांग्रेस ने बीजेपी को झटका दिया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृहजिले सीहोर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा ने कांग्रेस की सदस्यता ली है। भोपाल में पीसीसी चीफ कमलनाथ के बंगले पर अरोरा ने कांग्रेस की सदस्यता ली। हरदा में कृषि मंत्री कमल पटेल के करीबी रहे बीजेपी नेता सुरेन्द्र जैन और रीवा के विकास तिवारी ने कांग्रेस की सदस्यता ली। रीवा जिले के नेता विकास तिवारी ने अपने समर्थक जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सरपंच, पंचों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ली।

कमलनाथ के बधाई देने पर जसपाल सिंह अरोरा ने कहा कि वे भी अपनी घर वापसी पर प्रसन्न हैं। फिर से पार्टी संगठन को मजबूती देने के लिए मैदान संभालेंगे। इस दौैरान उन्होेंने सीहोर विधानसभा सीट से कांग्रेस की जीत के प्रति भी आश्वस्त किया। जसपाल सिंह अरोरा सीहोर विधानसभा सीट से भाजपा में टिकट के प्रबल दावेदार थे। सर्वे में भी नाम था। इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। पूर्व विधायक सुदेश राय पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा टिकट दिया। इसके बाद से ही अरोरा नाराज थे एवं मंथन भी कर रहे थे। आखिरकार उन्होंने अब घर वापसी का मूड बनाकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। अरोरा के कांग्रेस में जाने से जहां कांग्रेस पार्टी को मजबूती मिलेगी, वहीं भाजपा के लिए राह कठिन भी हो जाएगी।

कांग्रेस से ही शुरू हुआ था राजनीतिक सफर

जसपाल सिंह अरोरा ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। वे लंबे समय तक कांग्रेस में रहे। इस दौरान यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी बने। संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1999 से 2004 तक जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने वर्ष 2003 में भाजपा का दामन थाम लिया था। तभी से वे भाजपा के सच्चे सेवक के तौर पर पार्टी और संगठन में काम कर रहे थे। उनकी धर्मपत्नी अमीता अरोरा भी नगर पालिका परिषद सीहोेर की अध्यक्ष रही हैं। अरोरा एक समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौैहान के काफी करीबी थे। उन्हीं के कहने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। तब से ही वे शिवराज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे थे। सीहोर विधानसभा क्षेत्र में उनका खासा प्रभाव भी है। इसी वजह से वे इस बार भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार भी थे। पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अब वे कांग्रेस पार्टी के साथ में चुनाव की कमान संभालेंगे।

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