लोकसभा चुनाव 2024: मायावती ने एक झटके में किया I.N.D.I.A.के प्लान का 'द एंड'


 लखनऊ : I.N.D.I.A. की मुंबई बैठक से पहले मायावती ने विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने ताबड़तोड़ ट्वीट कर साफ कर दिया है कि वह विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A का हिस्सा नहीं बनेंगी। इसका संकेत उन्होंने इमरान मसूद की बसपा की छुट्टी करने के साथ ही दे दिया था। राहुल की तारीफ करने के कुछ घंटे बाद ही इमरान मसूद पार्टी बीएसपी से बेदखल कर दिए गए। इंडिया ( I.N.D.I.A) की बैठक से पहले मायावती के ऐलान से भारतीय जनता पार्टी ने भी राहत की सांस ली है। अब लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान यूपी में वन टु वन नहीं होगा, जैसा इंडिया के नेता नीतीश कुमार चाहते थे। पहले यह चर्चा थी मायावती यूपी में 45 लोकसभा सीटों की डिमांड कर रही थीं। मगर जब बात नहीं तो I.N.D.I.A. से दूरी बना ली।

यूपी में नहीं होगी वन टु वन मुकाबला

इंडिया के नेताओं की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ विपक्ष का एक ही कैंडिडेट मुकाबला करे। उत्तर भारत के 200 सीटों पर वन टु वन मुकाबले से बीजेपी की घेराबंदी की जा सकती है। मगर मायावती के फैसले से उत्तरप्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जगी है। असदुद्दीन ओवैसी ने भी संकेत दिए हैं कि एआईएआईएम भी यूपी की कई सीटों पर उम्मीदवार खड़ा कर सकता है। 2014 लोकसभा चुनाव में यूपी में बहुकोणीय मुकाबला हुआ था और नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे थे।

यूपी में नहीं होगी वन टु वन मुकाबला

इंडिया के नेताओं की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ विपक्ष का एक ही कैंडिडेट मुकाबला करे। उत्तर भारत के 200 सीटों पर वन टु वन मुकाबले से बीजेपी की घेराबंदी की जा सकती है। मगर मायावती के फैसले से उत्तरप्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जगी है। असदुद्दीन ओवैसी ने भी संकेत दिए हैं कि एआईएआईएम भी यूपी की कई सीटों पर उम्मीदवार खड़ा कर सकता है। 2014 लोकसभा चुनाव में यूपी में बहुकोणीय मुकाबला हुआ था और नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे थे।

मायावती को वोट बैंक खिसकने का डर

बहुजन समाज पार्टी ने इंडिया से दूर रहने का फैसला पिछले अनुभवों से लिया है। लोकसभा चुनाव के बाद जब सपा-बसपा गठबंधन टूटा था, तब दोनों ने एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए थे। समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया था कि मायावती अपने कोर वोटरों का वोट सपा में ट्रांसफर नहीं करा सकी। जबकि 10 सीट जीतने के बावजूद बीएसपी को गहरा झटका लगा। पार्टी का दलित वोटर बीजेपी-एनडीए की ओर खिसक गया। बीजेपी ने बीएसपी के जाटव वोट बैंक में सेंध लगा दी। इसका नतीजा यह रहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ एक सीट मिली,जबकि उसके सहयोग रहे समाजवादी पार्टी ने 111 सीटें जीत लीं। बीएसपी का वोट प्रतिशत 12.88 पर जा सिमटा। रही-सही कसर निकाय और पंचायत चुनाव में पूरी हो गई। अब मायावती के सामने दोहरी चुनौती है। अगर अब गठबंधन करती हैं तो उनके कैडर वोटर निराश हो सकते हैं। इसके अलावा बीएसपी के कई नेता सपा और कांग्रेस का रुख कर चुके हैं। इन नेताओं के लिए सीटें छोड़ना बहुजन समाज पार्टी के लिए आसान नहीं है।


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