दिग्गी की पदयात्रा के मुरीद हुए मोदी के मंत्री:नितिन गड़करी बोले-दिग्विजय सिंह इतना पैदल चल सकते हैं ये आश्चर्य की बात है


 केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की तारीफ की है। दिग्गी के पैदल चलने की क्षमता पर मोदी सरकार में मंत्री नितिन गड़करी ने उनकी खुले दिल से तारीफ की है। कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी के अलावा पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, लेखक और पत्रकार विजय जगताप, पूर्व मंत्री हर्षवर्द्धन पाटिल, विधायक अश्विनी जगताप, पूर्व विधायक उल्हास पवार, अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष डॉ सदानंद मोरे, यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हेमंत ओगले, पुणे जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संजय जगताप मौजूद थे।

पुणे में हुआ कार्यक्रम

महाराष्ट्र के पुणे में प्राध्यापक रामकृष्ण मोरे के जीवन पर आधारित पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पिंपरी चिंचवड़ पहुंचे थे। इसी कार्यक्रम में अपने उद्बोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंच पर मौजूद दिग्विजय सिंह की तारीफ करते हुए कहा "कितना बड़ा आश्चर्य का यह है दिग्विजय जी, मेरी तो हिम्मत नही होगी, मैं शायद आपसे छोटा हूं पर इतना आप पैदल जा सकते हैं, रियली आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपका अभिनंदन।"

आज की पीढ़ी को डिजिटल धर्मग्रंथ मिलना जरूरी

नितिन गड़करी ने कार्यक्रम में कहा- मैंने एक प्रकल्प हाथ में लिया है। संत वांग्मय का साहित्य जनता के बीच में आना चाहिए। हनुमान चालीसा, भगवद्गीता, गजानन महाराज की पोथी, गजानन महाराज की कथा डिजिटल बना कर दीजिए। इंजीनियर से कहा तुकाराम महाराज की गाथा, और ज्ञानेश्वरी, तुकडोजी महाराज की ज्ञान गीता बनाकर दीजिए। उस समय के तुकाराम और ज्ञानेश्वर महाराज के विचारों को आज की पीढ़ी तक ले जाना है तो टेक्नोलॉजी का उपयोग करना चाहिए। फोटो पर क्लिक करें तो पूरा विवरण सामने आ जाए। भजन कीर्तन, श्लोक सब डिजिटली किताब के रुप में उपलब्ध होने चाहिए। तभी हमारी आज की पीढ़ी को हमारे इतिहास और धर्म शास्त्र का बोध हो सकेगा।

इंजीनियर नहीं बन पाया, अब डॉक्टर लिखने में संकोच करता हूं

गड़करी ने कहा मैं 75 में इमरजेंसी के खिलाफ काम करने लगा। मेरी इच्छा इंजीनियर बनने की थी लेकिन साइंस में कुल 52 प्रतिशत अंक मिले तो मैं इंजीनियरिंग के लिए डिस्क्वालिफाई हो गया। अब साइंस, इंजीनियरिंग कॉलेज में भाषण देने जाता हूं तो आश्चर्य होता है। जो आदमी इंजीनियरिंग के एडमिशन के लिए डिस्क्वालिफाई हो गया तो मैं क्या भाषण दूं। अभी तक मुझे 6 डीलिट मिल गई। चार महाराष्ट्र से ही मिली हैं। तो मुझे संकोच होता है कि जो इंजीनियरिंग में दाखिला नहीं ले पाया तो मैं डॉक्टर कैसे लगाऊं।

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