MP,गोशाला में कंकाल इतने कि गिनना मुश्किल:कुत्ते नोच रहे गायों के शव; इन्हीं को बेचकर निकालते हैं गोशाला का खर्च

 


मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 25Km दूर है जीवदया गोशाला। यह भोपाल की सबसे बड़ी गोशाला है। हकीकत में इसे 'कंकालों' की गोशाला या बूचड़खाना कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि मैदान में बिखरे पड़े गायों के शवों की तस्वीर यही बयां कर रही है। इन शवों को कुत्ते नोच रहे हैं। कंकाल इतने कि इनको गिनना मुश्किल है। दूर-दूर तक सिर्फ कंकाल और शव ही नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं गोशाला प्रबंधक का कहना है कि गायों के शव बेचकर गोशाला का खर्च निकाला जा रहा है।

तारीख - 30 जनवरी। दिन - सोमवार। समय - दोपहर के 12.30 बजे। भदभदा के नजदीक स्थित बरखेड़ी औबेदुल्ला गांव के किनारे से गुजर रही सड़क पर ट्रैफिक सामान्य है। इसी सड़क से करीब 500 मीटर दूर बांयी ओर है जीवदया गोशाला। एक बड़े खुले बाड़े में 500 से ज्यादा गाय और बैल झुंड में खड़े हैं। वहीं, गायों के लिए बना शेड खाली है। यहां गोबर की दुर्गंध उठ रही है। जबकि एक दूसरे शेड में एक बछड़ा बेहोश पड़ा है। उसी बछड़े से महज 20 कदम की दूरी पर एक अन्य बछड़ा भी जमीन पर पड़ा नजर आया। वह जमीन पर गिरी जंगली घास को खाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें इतनी ताकत नहीं है कि बैठकर जमीन पर रखी घास को खा सके।

गायों के इसी शेड के बाहर करीब 40 फीट लंबी दो पानी की टंकियां हैं। इनमें काई की परत जमी है। गोशाला के अंदर बांयी ओर करीब 10 हजार वर्गफीट का एक शेडनुमा गोदाम बना है। इसे गायों के लिए भूसा स्टोर करने के लिए बनाया गया है, जो पूरी तरह से खाली है।

आरटीआई में पता चला 2131 गायें गायब हो गईं

अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान समिति के गौरव मिश्रा ने पशुपालन विभाग से आरटीआई के तहत जानकारी जुटाई। इसमें पता चला कि इस गोशाला में एक साल में 2131 गायें गायब हो गईं। रिकॉर्ड अनुसार गोशाला में जनवरी 2022 में 1961 गाय थीं। इसकी पुष्टि खुद पशुपालन विभाग ने की है, जबकि नगर निगम ने सालभर में यहां 2236 गाय भेजीं। इनमें से 116 गाय की मौत हो गई।

मौजूद रिकॉर्ड के हिसाब से फिर भी गोशाला में 4081 होनी चाहिए थी, लेकिन यहां अभी 1950 गाय होना दर्ज है। फिर बाकी 2131 गाय कहां गायब हो गईं? जबकि गोशाला गायों की संख्या की जानकारी हर महीने पशुपालन विभाग को देती है। मामले के खुलासे के बाद डेढ़ हजार गायों की मौजूदगी सामने आई है। यानी, गायों की संख्या और भी कम हो सकती है। अब जानिए आगे की कहानी...।

चमड़ी-हड्‌डी निकलवाकर बेचते हैं, इससे होता है संचालन


जीवदया गोशाला का संचालन 5-6 साल से गायों के शव बेचकर किया जा रहा है। सोमवार को जब गायों के गायब होने का मामला सामने आया तो पुलिस, पशु पालन विभाग के अधिकारी और सामाजिक संगठनों के लोग गोशाला पहुंच गए। उनके सवालों के जवाब में खुद गोशाला प्रबंधक रामदयाल नागर ने शव बेचकर गोशाला चलाने का खुलासा किया।


नागर के मुताबिक गोशाला के लिए जो अनुदान मिलता है उससे संचालन नहीं हो पाता है, इसीलिए गोशाला में मरने वाली गायों के शव उठाकर हम मैदान में फेंक देते हैं। फिर इनकी चमड़ी-हड्‌डी निकलवाकर बेच देते हैं। इसके लिए गोशाला ने शहर के ही एक चमड़ा कारोबारी से गठजोड़ किया है। जब पुलिस ने पूछा कि शव को कैसे दफन करते हो तो गोशाला वाले जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता, हम तो सालों से शव मैदान में फेंक देते हैं।

ऐसे दफनाया जाना चाहिए गाय का शव

5 फीट के गड्‌ढे में नमक बिछाकर शव रखते हैं, फिर ऊपर से नमक डालकर मिट्‌टी से ढंक देते हैं। सालभर में शव हडि्डयों समेत गल जाता है। इससे उच्च कोटि की खाद बनती है।

गोशाला से एक किमी दूर ही 'बूचड़खाना'

गोशाला से करीब एक किलोमीटर की दूरी, जहां 'बूचड़खाना' जैसी तस्वीर थी। एक बड़े से ग्राउंड में गायों के शव और कंकाल पड़े थे। जिन्हें कुत्तों के झुंड नोच रहे थे। वहीं, चारों ओर कंकाल ही कंकाल पड़े थे। तेज हवा के झौंके के साथ शव-कंकालों से बदबू भी चारों ओर फैल रही थी। इससे यहां खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। यहीं पर गायों के शरीर से उनका चमड़ा भी उधेड़ा जा रहा था। एक जगह तो चमड़ों को इकट्‌ठा करके रखा गया था। इस कंकाल-शवों के आसपास ही यलो कलर के टैग भी पड़े हुए थे। जब गोशाला प्रबंधन से पूछा तो उसका कहना था कि नगर निगम भोपाल ही चमड़े उधड़वाता है। इसके लिए भोपाल के एक कसाई को ठेका भी मिला है।

कांग्रेस ने भाजपा को घेरा

कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने ट्वीट के जरिए राज्य सरकार को घेरा है। उन्होंने लिखा- गोमाता की भाजपा सरकार में भूख-प्यास से तड़पकर मौत हो रही है। इससे पहले भी बैरसिया (भोपाल) में भाजपा नेत्री की गोशाला में सैकड़ों गायों की मौत हुई थी। FIR होने के बाद भी भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गिरफ्तारी नहीं हुई।

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