अमृत उद्यान करने से क्या बेरोजगारी खत्म हो जाएगी?' मुगल गार्डन का नाम बदलने पर सियासत तेज


 भारत के राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित मुगल गार्डन को अब 'अमृत उद्यान' के नाम से जाना जाएगा. इस फैसले पर मिली जुलीं प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग सरकार को निशाने पर ले रहे हैं तो कुछ लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं. 

AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. वारिस पठान ने पूछा क्या मुगल गार्डन और टीपू सुल्तान गार्डन का नाम बदलने से देश का विकास हो जाएगा, बेरोजगारी खत्म हो जाएगी? क्या पेट्रोल-डीजल के भाव में कमी आ जाएगी. भाजपा असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सिर्फ नामकरण की सियासत कर रही है. इसी तरह भाजपा ने मुंबई के मलाड में टीपू सुल्तान गार्डन का नाम बदल दिया. वारिस पठान ने टीपू सुल्तान को महान बताया और भाजपा पर निशाना साधा. 

किसी मुल्क ने नहीं की तरक्की

RJD नेता मनोज झा ने नाम बदलने को लेकर कहा कि क्या-क्या मिटा देंगे? उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, मैं निवेदन करूंगा कि एक मंत्रालय का घटन कीजिए, जिसका नाम हो.. 'नाम बदल मंत्रालय'. मनोज झा ने कह कि ये सब कर के किसी भी मुल्क ने तरक्की नहीं की है.

मौलाना सुफियान ने कही ये बात

साथ ही मुस्लिम मौलवी मौलाना सुफियान निजामी ने कहा, हिंदू या मुस्लिम सब के लिए देश पहले है. इतिहास न बदलने से बदलता है, न ही तारीख मिटाने से मिट जाती है. उन्होंने कहा कि जिस भी शख्स को देश से मोहब्बत होगी वो अमृत उद्यान से ऐतराज नहीं करेगा. सुफियान निजामी ने कहा, मुस्लिमों ने न तो मुगलों की हिमायत की है ना ही उनकी प्रशंसा की है. इस नाम के बदलने से किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

'मुगल गार्डन का मतलब ये नहीं कि ये मुगलों का है...'

इनके अलावा मुस्लिम मौलवी साजिद राशिद ने कहा, 'मुगल गार्डन का ये मतलब नहीं था कि गार्डन मुगलों का है. ये हिंदुओं को खुश करने के लिए किया गया है. आने वाले समय में महात्मा गांधी का नाम बदल कर, मोदी जी को महात्मा बना देंगे. योगी जी या मोदी जी संविधान को नहीं मानते हैं.' उन्होंने कहा, ये जो हो रहा है देश के लिए सही नहीं है. श्रीलंका जैसी स्थिति यहां हो जाएगी.

केंद्रीय मंत्री ने की सराहना

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्र सरकार के इस फैसले को सराहा है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'स्वागत एवं धन्यवाद राष्ट्रपति जी. श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने राष्ट्रपति भवन में प्रतिष्ठित उद्यानों का नाम बदलकर 'अमृत उद्यान' कर दिया. यह नया नाम अमृतकाल के लिए भारत की आकांक्षाओं को दर्शाता है.'

भाजपा नेता ने मोदी जी को कहा शुक्रिया

इस गार्डन के नाम बदलने को लेकर कुछ नेता इसका समर्थन भी कर रहे हैं. भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की है. उन्होंने तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, 'बदलते भारत की तस्वीर. राष्ट्रपति भवन में मुगल गार्डन अब अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा. शुक्रिया मोदी जी.'

अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है मुगल गार्डन

राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन अपनी सुंदरता के लिए काफी चर्चित है. इसे देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. यहां पर 138 तरह के गुलाब, 10 हजार से ज्यादा ट्यूलिप और 70 अलग-अलग प्रजातियों के लगभग 5 हजार मौसमी फूलों की प्रजातियां हैं. इस गार्डन को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने आम लोगों के लिए खुलवाया था, तब से आज तक हर साल स्प्रिंग सीजन में इसे जनता के लिए खोला जाता है.

हर पौधे के पास लगा QR कोड

बता दें कि आज के बदलाव के बाद मुगल गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए कई तरह बदलाव भी किए गए हैं. सभी पौधों के पास QR कोड लगाया गया है. अगर कोई भी इसे स्कैन करेगा, तो उसे पौधे से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाएगी. इसके साथ ही 20 प्रोफेशनल लोगों को तैनात किया गया है, जो लोगों को गार्डन के बारे में जानकारियां देंगे.

मुगलों के नाम पर क्यों रखा गया था नाम? 

गौरतलब है कि 16वीं शताब्दी में बाबर के हमले के बाद दिल्ली में मुगल साम्राज्य शुरू हुआ था. इसके बाद हुमायूं, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने दिल्ली की गद्दी संभाली. इस दौरान मुगलों ने देशभर में बाग-बगीचों का निर्माण करवाया. दिल्ली में एक हजार से ज्यादा (लगभग 1200) बाग बनवाए. बाद में अंग्रेजों ने मुगल परंपराओं को अंग्रेजी सौंदर्यशास्त्र के साथ मिला दिया. यही वजह है कि इसका नाम मुगलों के नाम पर पड़ा. मुगल गार्डन का डिजाइन ताजमहल और जम्मू और कश्मीर के बगीचों से प्रेरित है. मुगल गार्डन को चार भागों में बांटा गया है - चतुर्भुजकार बाग, लंबा बाग, पर्दा बाग और वृत्ताकार बाग.


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