वंदे भारत ट्रेनों की बार-बार क्यों टूट रही 'नाक', सही करने में कितना खर्च? जानिए


 वंदे भारत ट्रेनों के मवेशियों से टकराने के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. मुंबई सेंट्रल से गुजरात के गांधीनगर कैपिटल के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन बीते शनिवार को एक बार फिर हादसे का शिकार हुई. इस ट्रेन के साथ एक महीने के अंदर मवेशियों से टकराने का ये तीसरा मामला है.

क्यों वंदे भारत की बार-बार टूट जाती है 'नाक'?

रेलवे अधिकारी के मुताबिक, वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के बाद भी ट्रेन और उसमें बैठे यात्रियों को नुकसान न पहुंचे. इसी वजह से प्रीमियम ट्रेनों में फ्रंट का हिस्सा कोन शेप का रखा जाता है. यह हिस्सा मजबूत फाइबर प्लास्टिक का होता है. इसमें आगे के सिर्फ कोन शेप हिस्से को नुकसान पहुंचता है, गाड़ी का अन्य हिस्सा, चेचिस और इंजन नुकसान होने से बच जाता है. यही वजह है कि मवेशियों के टकराने के बाद इसके आगे के हिस्से को बार-बार नुकसान पहुंच रहा है.

सही करने में आता है कितना खर्च

वंदें भारत के नोज कोन कवर की कीमत 10 हजार से 15 हजार रुपये प्रति पीस है. टक्कर के कुछ ही घंटे बाद ट्रेन के क्षतिग्रस्त इस हिस्से को आसानी से बदला जा सकता है. रेलवे के पास इन ट्रेनों के लिए 10 पुर्जों की टोकरी है. आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में महीने भर के अंदर मवेशियों से प्रभावित ट्रेनों के 360 मामले आते थे. वहीं, सितंबर में यह केस बढ़कर 635 हो गए हैं. बता दें कि रोजाना तकरीबन 22 ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित हो रही हैं.

अब तक 4,433 ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित

रेलवे के मुताबिक, अक्टूबर के पहले नौ दिनों में 200 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं, जिससे इस साल अब तक की संख्या 4,433 हो गई है. मवेशियों के टकराने से इन ट्रेनों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. यह टक्कर ट्रेनों के पटरी से उतरने का कारण भी बन सकती हैं.

ग्रामीणों को किया जा रहा है जागरूक

रेलवे के इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ शर्मा ने रेलवे मवेशियों से ट्रेनों की होने वाली टक्कर की घटनाओं को कम करने के लिए हर प्रयास कर रही है. इस घटनाओं के पीछे की वजह जानने की भी कोशिश की जा रही है. साथ ही मवेशियों के मालिक को जागरूक करने की भी कोशिश किया जा रहा है. उनसे जानवरों को पटरियों के पास चरने के लिए नहीं छोड़ने की भी अपील की जा रही है.

 

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