आजम खां का पॉलिटिकल करियर खत्‍म? दसवीं जीत के महज 154 दिन में चली गई विधायकी, रामपुर में दूसरी बार होगा उपचुनाव


 यूपी की रामपुर विधानसभा सीट से सीतापुर जेल में कैद रहकर 55 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले मोहम्मद आजम खां का पॉलिटिकल करियर क्‍या अब खत्‍म हो जाएगा? पिछले तीन दिन से यूपी के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल तैर रहा है। इसकी वजह यह है कि उनकी विधानसभा सदस्यता महज 154 दिन में ही चली गई। भड़काऊ भाषण मामले में कोर्ट ने 27 अक्‍टूबर को आजम खां को तीन साल की सजा सुनाई। 28 अक्‍टूबर को उनकी विधानसभा सदस्‍यता खत्‍म कर सीट रिक्त घोषित कर दी गई। आजम खां रामपुर विधानसभा सीट से दसवीं बार चुनाव जीते थे।


वर्ष 2019 में पहली बार सांसद चुने जाने के बाद आजम खां ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद यहां उपचुनाव हुआ और इसमें आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा विधायक चुनी गईं थीं। आजम खां की विधानसभा सदस्यता जाने के बाद अब दूसरी बार रामपुर सीट पर उपचुनाव होगा।



सपा के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां पर 2019 में धोखाधड़ी समेत कई गंभीर आरोपों में तमाम मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने कई मुकदमों में चार्जशीट किया। सम्मन जारी होने के बाद भी कोर्ट में हाजिर न होने पर आजम खां, डा.तजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ दिसंबर 2019 में धारा 82 की कार्रवाई करते हुए नोटिस जारी की गई थी। इसके बाद सपा नेता आजम खां, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा और बेटा अब्दुल्ला आजम ने 26 फरवरी 2020 को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। कोर्ट ने तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। जिला प्रशासन ने तीनों को प्रशासनिक आधार पर सीतापुर जेल ट्रांसफर कर दिया था।


इस दौरान विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा जमानत पाकर जेल से बाहर आ चुके थे, लेकिन आजम खां को जमानत नहीं मिल सकी थी। इन हालातों में आजम खां ने सीतापुर जेल से ही रामपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दसवीं बार 55 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की थी।


लोकसभा चुनाव के दौरान 2019 में मिलक थाना क्षेत्र में दिए गए भाषण के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को तीन साल की कैद और छह हजार रुपया जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए आजम खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी। आजम खां रामपुर शहर विधानसभा से दसवीं बार महज पांच माह और चार दिन ही विधायक रह सके।

आजम ने विधायकी के लिए छोड़ दी थी सांसदी

आजम खां 2019 में रामपुर सीट से सांसद चुने गए थे, लेकिन उन्होंने दिल्ली के बजाय लखनऊ की सियासत को तवज्जो दी। लिहाजा वह इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में दसवीं बार रामपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जेल में रहते हुए चुनाव जीत लिया। विधानसभा सदस्य चुने जाने के बाद आजम खां ने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।


जानें कब क्या हुआ

09 अप्रैल 2019 को दर्ज हुआ था भड़काऊ भाषण का केस

10 मार्च 2022 को 10वीं बार विधायक चुने गए आजम

22 मार्च 2022 को लोस की सदस्यता से दिया इस्तीफा

23 मई 2022 को विधानसभा की सदस्यता की शपथ ली

27 अक्तूबर 2022 को आजम को हुई तीन साल की सजा

28 अक्तूबर 2022 को सदस्यता खत्म, सीट रिक्त घोषित


आजम खां का सियासी सफर

यूं तो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यलय से आजम खां छात्र राजनीति से अपने कॅरियर की शुरूआत की थी, लेकिन शहर विस क्षेत्र से वह पहली बार 1977 में चुनाव लड़े थे। हालांकि, तब कांग्रेस के मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां ने उन्हें शिकस्त दी थी। 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर से आजम खां फिर शहर विस सीट से चुनावी समर में उतरे और विधायक बने। इसके बाद 1985 में हुए विस चुनाव में वह लोकदल के टिकट से चुनाव लड़े और जीते।

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