चर्चित भूमाफिया अनिल गुप्ता पहुंचा सलाखों के पीछे ,धोखाधड़ी कर गरीबों की हड़फ लिया था जमीन , जमीन फर्जीवाड़े का दर्जनों मामले पूर्व में है आरोपी पर दर्ज


 


अरूण गुप्ता ब्यूरो सीधी।

प्रखर न्यूज व्यूज एक्सप्रेस 

सीधी शहर के कोतरकला निवासी नटवरलाल अनिल गुप्ता ने दर्जनों गरीबों के जमीन को फर्जीवाड़े तरीके से रजिस्ट्री करवा कर हफड़ लिया था जहां कानून के लंबे हाथों ने अब नटवरलाल अनिल गुप्ता को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। हाल ही में नटवरलाल अनिल गुप्ता के ऊपर बीते 13 सितंबर को फर्जीवाड़े तरीके से जमीन हड़पने के मामले में कोतवाली पुलिस ने 420 465 467 468 471 के तहत मुकदमा कायम कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है फिरहाल नटवरलाल अनिल गुप्ता न्यायालय में जमानत हेतु आवेदन दिया था लेकिन जमानत याचिका खारिज हो गया है जहां अब जेल में ही नटवरलाल के दिन कटेंगे। वही नटवरलाल अनिल गुप्ता के खिलाफ दो फर्जी वसीयत की जांच अभी लंबित है।

ये है पूरा मामला

पीड़ित देवी प्रसाद गुप्ता तथा सुनील गुप्ता के शिकायती आवेदन पर कोतवाली में दर्ज एफआईआर के अनुसार अनिल कुमार गुप्ता पिता बन्सगोपाल गुप्ता निवासी कोतरकला ने हमारी भूमि से लगी आराजी खसरा क्रमांक 226/01रकवा 0.527 हेक्टेयर में से आराजी खसरा नंबर 226/2 रकवा 0.597 हेक्टेयर हिस्सा यानी दोनों का बिक्री सुदा कुल रकबा 0.137 हेक्टेयर (0.34 डिसमिल जमीन भू स्वामी जुबरजुआ गुप्ता पति शिव प्रसाद गुप्ता से बीते वर्ष 9 जनवरी 2002 को खरीदा था। जहां आरोपी अनिल गुप्ता द्वारा उक्त खरीदी गई जमीन को कई व्यक्तियों को अपने खरीदी गई जमीन से ज्यादा कूट रचित एवं फर्जी तैयार करते हुए पीड़िता के जमीन को बेच दिया है।जिसमें लोकमडी मिश्रा को बीते वर्ष 19 मार्च 2002 को 2100 वर्ग फिट सूयज प्रसाद द्विवेदी व अन्य को बीते वर्ष 8 नवंबर 2002 को 8400 वर्ग फीट अरुण कुमार शुक्ला को 12 अगस्त 2005 को 3000 वर्ग फीट फिर से अरुण कुमार शुक्ला को 10 नवंबर 2009 को 1070 वर्ग फीट एवं सुशीला सिंह को बीते वर्ष 22 मई 2002 को 1250 वर्ग फीट नटवरलाल अनिल गुप्ता ने फर्जीवाड़ा करते हुए 2295 वर्ग फिट का रास्ता भी दिया था जो कुल 18115 वर्ग फीट जमीन कूट रचित तरीके से बेचा है। नटवरलाल इतना शातिर है कि फर्जी तरीके से जमीनों की रजिस्ट्री तथा अधिग्रहित कर अन्य लोगों को बेचता गया और पीड़ित को कानो कान खबर तक नहीं थी। हालांकि अब मामला दर्ज हो गया है और आरोपी गिरफ्तार होकर सलाखों के पीछे पहुंच गया है।

जांच में सिद्ध हुआ जमीन हड़पने के लिए तैयार किया फर्जी दस्तावेज

कोतरकला निवासी नटवरलाल अनिल कुमार गुप्ता के खिलाफ जमीन हड़पने के लिए तैयार किए गए बंटवारा संबंधी दस्तावेज की जांच पुलिस द्वारा राज्य परीक्षक विवादास्पद दस्तावेज मध्यप्रदेश शासन जहांगीराबाद भोपाल द्वारा पूर्व में भी कराया गया था जहां संबंधी दस्तावेज फर्जी पाए गए थे हालांकि इस पूरे मामले पर पुलिस के द्वारा जांच के दौरान आरोपियों पर मामला दर्ज किया था बाद में कोतवाली पुलिस ने अपराध क्रमांक 8 /22 2021 धारा 420 467 468 471 120 बी दर्ज कर जब तू दस्तावेजों की जांच राज्य परीक्षक भोपाल से कराया गया तथा इस संबंध में पीड़ित बाबूलाल गुप्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पूर्वजों से कोतर कलां स्थित आराजी नंबर 181मिन 2 कुल रकवा 0.2360 हेक्टेयर लगभग 59 डिसमिल जमीन मिली थी जिसमें वह काबिज है। आरोपी अनिल कुमार गुप्ता पिता बस गोपाल गुप्ता उम्र 48 वर्ष तथा उसका परिवार का दूर का भतीजा लगता है उसके द्वारा ₹5 के स्टांप में आवेदक की जमीन 181/2 मिन 2 रकवा 0.2360 हेक्टर पीड़ित के सगे भाई स्वर्गीय माधव प्रसाद गुप्ता और बाबूलाल गुप्ता के साथ खाते की जमीन आराजी नम्बर 599/मिन 1 रकवा 0.056 हेक्टेयर में से 0.9-1/2 एकड़ जमीन यानी 0.038 हेक्टेयर लगभग 14 डिसमिल जमीन का फर्जी बटवारा पत्र याचिका लेखक रमेश चंद्र श्रीवास्तव द्वारा तैयार करा कर तथा गवाह मोती प्रसाद शर्मा और राजभवन गुप्ता के हस्ताक्षर किया था। उसी बटवारा पत्र में आरोपी अनिल कुमार गुप्ता ने आवेदक के और उसके सगे भाई स्वर्गीय माधव प्रसाद गुप्ता के फर्जी हस्ताक्षर कर बटवारा पत्र तैयार किया था। रमेश चंद्र श्रीवास्तव और अनिल गुप्ता ने नाही आवेदक से उक्त बटवारा पत्र में हस्ताक्षर कराया था और ना ही गवाह मोती प्रसाद शर्मा से कराया था आवेदक उक्त बटवारा पत्र में हस्ताक्षर नहीं किए हैं वर्ष 2010 में आवेदक के बड़े भाई माधव प्रसाद गुप्ता की मृत्यु हो गई है उनकी मृत्यु के पश्चात आरोपी अनिल गुप्ता उक्त बटवारा पत्रक वर्ष 2010-11 में न्यायालय तहसीलदार गोपद बनास के न्यायालय में आवेदक बाबूलाल गुप्ता और उसके भाई माधव प्रसाद गुप्ता की जमीन फर्जी बटवारा पत्र के माध्यम से अपने नाम नामांतरण कराने के लिए आवेदन लगाया था जो उक्त आवेदन पत्र तहसीलदार ने खारिज फिर से 2019 में नामांतरण के लिए अनिल गुप्ता ने आवेदन लगाया जो दीपेंद्र तिवारी ने फर्जी नामांकन को स्वीकार कर लिया कर तथा उधर इसकी जानकारी पीड़ित को होने पर इसकी शिकायत पुलिस में की गई जिस पर फर्जी तरीके से नामांतरण कराने को लेकर आरोपी अनिल गुप्ता समेत उसके साथियों पर मामला दर्ज करते हुए संबंधित दस्तावेजों की जांच राज्य परीक्षक मध्यप्रदेश शासन भोपाल कराई गई जिसमें सभी दस्तावेज फर्जी पाए गए थे।

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