पिता बेचते हैं घूम घूम कर केटली में चाय आईपीएस बनने का सपना लेकर बिटिया ने मारी दसवीं में बाजी


अरुण गुप्ता सीधी।

प्रखर न्यूज व्यूज एक्सप्रेस भोपाल

मेहनत वह चाबी है जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। यह कहावत इस बेटी पर बिल्कुल फिट बैठती है आईपीएस बनने का सपना लेकर बिना कोचिंग के रात्रि में 8 घंटे तक पढ़ाई करने वाली सीधी की बेटी कुसुम सिंह चौहान ने दसवीं में 82.4 परसेंट लाकर पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। रोचक बात यह है कि कुसुम ने कोई कोचिंग क्लास ज्वाइन नहीं किया है। बल्कि मोबाइल के सहारे घर में ही रात्रि दरमियान पढ़ाई करती हैं। वही बात करें पारिवारिक पृष्ठभूमि की तो कुसुम चार बहनों में सबसे बड़ी है और एक भाई है जो छोटा है घर में अभी कोई भी इतना जागरुक नहीं है। जो कुसुम को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें। कुसुम के पिता जिला चिकित्सालय में घूम घूम कर चाय बेचते हैं। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बीते 29 अप्रैल को 10वीं तथा 12वीं क्लास की रिजल्ट घोषित कर दिया है। जिसमें सीधी की बिटिया कुसुम सिंह चौहान दसवीं क्लास में अच्छे अंक प्राप्त की है।

कठिनाइयों के बीच में परिश्रम का मिलता है फल

कुसुम सिंह चौहान पिता सत्येंद्र सिंह चौहान गवर्नमेंट मॉडल गर्ल्स हाई स्कूल में दसवीं क्लास की छात्रा है कुसुम कहती हैं कि कितनी भी कठिनाई सामने आ जाए लेकिन आत्मविश्वास और परिश्रम ही किस्मत का दरवाजा खोलती है उन्होंने बताया कि मैं जब भी स्कूल से आती थी इसके बाद पापा जी के कामों में हाथ बटाती थी जहां मैं चाय बना कर देती थी और पापा चाय को बेचा करते है। कुसुम ने बताया कि मैं स्कूल से आने के बाद दिन में पापा जी के काम में हाथ बताती हूं और रात में 8 घंटे तक लगातार पढ़ाई करती हूं कुसुम का पसंदीदा सब्जेक्ट मैथ है कुसुम अभी तक सेल्फ स्टडी कर के अभी तक की पढ़ाई की है उन्होंने कहा कि मेरा सपना आईपीएस बनने का है और इसके लिए मैं कड़ी परिश्रम करूंगी कुसुम चार बहनों में सबसे बड़ी है जो दूसरे नंबर की बहन नौवीं क्लास तथा तीसरे नंबर की बहन छठवीं क्लास और चौथे नंबर की बहन कक्षा चार में पढ़ रही है अपनी पढ़ाई के साथ-साथ कुसुम अपने भाई बहनों को भी पढ़ाया करती हैं। वही कुसुम की इस सफलता से माता-पिता गर्व महसूस कर रहे हैं तो जिले में खुसी की हर्ष व्याप्त है। कुसुम के पिता सत्येंद्र सिंह चौहान ने बातचीत में बताया कि हमारी बेटी दिन में हमारे कामों में हाथ बटाती है और रात में अपनी पढ़ाई भी करती है जहां हमारी बेटी नहीं बल्कि हमारा बेटा है।

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