पूर्वांचल में मोदी का 2017 वाला फॉर्मूला, काशी में फिर करेंगे कैंप... क्या BJP दोहरा पाएगी करिश्मा?


 पूर्वांचल की अब 111 सीटों पर होगी सियासी जंग

पीएम मोदी काशी से कैंप कर पूर्वांचल को साधेंगे

पूर्वांचल की 111 सीटों में से 76 पर बीजेपी का कब्जा

उत्तर प्रदेश विधानसभा में पांच चरण की वोटिंग के बाद अब छठे और सातवें फेज की जंग पूर्वांचल के इलाके की सीटों पर होनी है. महाभारत की अंतिम लड़ाई कुरुक्षेत्र में लड़ी गई थी. ऐसे में यूपी चुनाव को अगर 'महाभारत' का रण मानें तो फिर पूर्वांचल 'कुरुक्षेत्र' बना दिखाई दे रहा है. पूर्वांचल में बीजेपी के चक्रव्यूह के भेदेने के लिए विपक्षी दलों ने पूरी तरह से कमर कस रखी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2017 की तर्ज पर काशी में कैंप कर अपना सियासी दुर्ग बचाए रखने की कवायद में है. 

यूपी के दो अंतिम चरणों के चुनाव 3 और 7 मार्च को है. इन दो चरणों में 19 जिलों के 111 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. ये सभी सीटें पूर्वांचल के इलाके की है, जिसमें पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी और सीएम योगी की कर्मभूमि गोरखपुर की भी सीटें शामिल हैं. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आजमगढ़ तो बसपा सुप्रीमो मायावती के मजबूत गढ़ माने जाने वाले अंबेडकरनगर की भी सीटें है. वहीं, जातीय आधार वाले छोटे दलों का सियासी प्रभाव भी इसी क्षेत्र में है. 

3 दिन तक काशी के निवासी रहेंगे पीएम मोदी 

पूर्वांचल के इलाके में ही बीजेपी के खिलाफ सपा ने जबरदस्त तरीके से घेरेबंदी कर रखी है तो बसपा ने भी मजबूत सियासी बिसात बिछा रखी है. ऐसे में बीजेपी की ओर से आखिरी दो चरण के लिए कमर कस ली गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सातवें चरण के वोटिंग से चार दिन पहले काशी को केंद्र बनाकर पूर्वांचल के दौरे और जनसभा करेंगे. पीएम मोदी तीन से पांच मार्च को चुनाव प्रचार का शोर थमने तक वाराणसी में रहेंगे और इस दौरान डोर टू डोर कैंपेन के साथ ही जनसभा, रोड शो सहित अन्य कार्यक्रम कर माहौल बनाने का काम करेंगे. 

2017 में भी यही था प्रचार का तरीका

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पीएम मोदी ने तीन दिन तक वाराणसी में कैंप कर रखा था. पीएम मोदी ने काशी को अपना बेस कैंप बनाकर पूर्वांचल के इलाके में चुनावी जनसभाओं के जरिए लोगों से मुखातिब होना शुरू किया था, तो पूर्वांचल का सियासी माहौल ही बदल दिया था. इस तरह से दो चरण की कुल 111 सीटों में से 76 सीटें अकेले बीजेपी ने जीती थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल (एस) 5 और सुभासपा को 4 सीटें मिली थी. इस तरह से बीजेपी गठबंधन ने 85 सीटें जीती थी. वहीं, बसपा ने 11 और सपा ने 12 सीटें जीती थी तो कांग्रेस-निषाद पार्टी और निर्दलीय को एक-एक सीट पर जीत मिली थी. 

नई रणनीति के साथ मैदान में बीजेपी

उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता पाने के लिए बीजेपी पूर्वांचल पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती है. ऐसे में पीएम मोदी 2017 की तर्ज पर अपने सियासी दुर्ग पूर्वांचल को बचाने के लिए काशी में कैंप करने रणनीति बनाई है. हालांकि, इस बार सुभासपा, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान के सपा के पाले में जाने से बीजेपी अब नई रणनीति के साथ मैदान में उतरी है. बीजेपी ने निषाद पार्टी से हाथ मिलाकर राजभर की भरपाई करने का दांव चला है. 

राजनीतिक विश्लेषक सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि पूर्वांचल में इस बार 2017 जैसे सियासी हालात नहीं है बल्कि चुनौतियां है. पांच साल पहले सरकार बनाते वक्त पूर्वांचल के लोगों ने जो बीजेपी से उम्मीदें की थी वह कितनी कसौटी पर खरी उतरी है उसके आकलन के अनुसार ही इस बार मतदान होगा. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम बड़े से बड़े नेता पूर्वांचल में सियासी डेरा जमा रहे हैं. 

पीएम मोदी ने रविवार से पूर्वांचल का मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने पूर्वांचल में तीन रैलियां करने के बाद काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बूथ कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी तीन से पांच मार्च तक अपने संसदीय क्षेत्र काशी में रहेंगे. इस तरह मतदान से ऐन पहले काशी प्रवास कर पूर्वांचल की धरा को बीजेपी के पक्ष में करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में देखना है कि पीएम मोदी की कोशिश 2022 के चुनाव में क्या सियासी करिश्मा दिखाती है. 

दरअसल, पूर्वांचल की सधी हुई सियासत से ही यूपी की जीत तय होती रही है. गोरखपुर और काशी क्षेत्र में ही राजनीतिक दलों को ताकत झोंकनी है जिले की एक विधानसभा में पीएम की रैली आयोजित करने की योजना है. पूर्वांचल की जमीन का सियासी रुख अपनी ओर करने के लिए सपा, कांग्रेस और बसपा सहित अन्य दल भी ताकत झोंकने की तैयारी में जुट गए हैं. पांचवें चरण के मतदान पूरा होने के बाद से ही काशी को केंद्र में रखकर सियासी दलों के बीच द्वंद्व शुरू हो गया है. 

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