मध्यप्रदेश सरकार का नया दांव:कमलनाथ सरकार का परिसीमन फिर समाप्त, नया अध्यादेश लागू; अब नए सिरे से होगा जिला-जनपद व ग्राम पंचायतों का सीमांकन

 


पंचायत चुनाव में आरक्षण और परिसीमन को लेकर बैकफुट पर आई शिवराज सरकार ने अब नया दांव खेला है। सरकार ने कमलनाथ सरकार में हुए परिसीमन को एक बार फिर समाप्त कर दिया है। इसके लिए नया अध्यादेश लागू किया गया है। इसकी अधिसूचना पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने गुरुवार देर शाम जारी की गई है। अब जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत तक का परिसीमन नए सिरे से किया जाएगा।

पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2021 की अधिसूचना में कहा गया है कि चुनाव की अधिसूचना राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किसी भी कारण से ऐसे परिसीमन के प्रकाशन की तारीख से 18 माह की अवधि के भीतर जारी नहीं की जाती है, तो प्रकाशित परिसीमन व विभाजन निरस्त माना जाएगा।


पंचायत विभाग द्वारा जारी नया अध्यादेश

इससे पहले सरकार ने एक महीने पहले कमलनाथ सरकार के दौरान 2019 को लागू परिसीमन और आरक्षण को समाप्त करने के लिए अध्यादेश लागू किया था, जिसे 26 दिसंबर को वापस ले लिया गया था। कमलनाथ सरकार ने सिंतबर 2019 में प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन कर करीब 1200 नई पंचायतें बनाई थी, जबकि 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त कर दिया गया था। इसी तरह, 1950 की सीमा में बदलाव भी किया गया था।

शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच 22 नंवबर को ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया था, जहां बीते एक साल से चुनाव नहीं हुए थे। ऐसी सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया गया था। यानी 2014 में हुए चुनाव के दौरान थे। सरकार के इस फैसले को कांग्रेस ने कोर्ट में चुनौती दी थी। इस बीच, पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का नया पेंच आने के बाद सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया था। इसके लिए 26 दिसंबर को रविवार के दिन कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी। इसी दिन राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई।

पंचायत चुनाव निरस्त होने की यही वजह बनी

विधि विशेषज्ञों ने अभिमत दिया कि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव प्रक्रिया संचालित की जा रही थी, जब वो ही समाप्त हो गया तो फिर चुनाव कराने का औचित्य ही नहीं बचा था। दरअसल, अध्यादेश वापस लेने से वह परिसीमन पुन: लागू हो गया, जिसे निरस्त किया गया था। 1200 से ज्यादा पंचायतें फिर अस्तित्व में आ गईं। ऐसे में चुनाव कराया जाना संभव नहीं था। आयोग ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 42 में दी गई शक्ति और मध्य प्रदेश पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 18 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव कार्यक्रम और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को निरस्त कर दिया।

Popular posts from this blog

शुजालपुर *कुर्सी तोड़ टी.आई रतन लाल परमार ऐसा काम ना करो ईमानदार एस.पी को बदनाम ना करो*

ट्रांसफर नीति पर अपने ही नियम तोड़ रहा एनएचएम ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन किए कम्नूटी हेल्थ ऑफिसर के ट्रांसफर

फल ठेले बाले ने नपा सीएमओ पर बरसाए थप्पड़, कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा वीडियो वायरल