ओबीसी की मांगों का अमर शहीद मनीराम संघर्ष मोर्चा ने किया समर्थन।

सोनाली चौहान प्रखर न्यूज व्यूज एक्सप्रेस भोपाल
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भोपाल । मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण और जातीय जनगणना को लेकर चलाये जा रहे आंदोलन में मध्यप्रदेश असंगठित कामगार प्रकोष्ठ परिसंघ भोपाल एवं "अमर शहीद वीर मनीराम संघर्ष मोर्चा" ने अपना समर्थन दिया है। स्मरणीय है कि विगत लम्बे समय से पिछड़े वर्ग के नेताओं और उनके संगठनों के तत्वावधान में और संयुक्त मोर्चा के अतिरिक्त भारतीय ओबीसी महासभा के द्रारा अपने हक अधिकारों को लेकर आन्दोलित है।

सरकार के द्रारा उनकी संवैधानिक अधिकार और मांगों को अभी तक मानी नहीं गई है।

पिछड़ा वर्ग को बाबा साहब डॉ अम्बेडकर जी के संविधान के अनुसार उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिए जाने के प्रावधान हैं। लेकिन उन्हें आज तक प्राप्त नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार के द्रारा अभी हाल में ही पंचायत चुनाव में आरक्षण हटा कर बहुसंख्यक आबादी के पिछड़े वर्ग का अहित किया गया था। जो कि माननीय न्यायालय के दखल देने के बाद सरकार के द्रारा चुनाव की प्रक्रिया निरस्त की है।

देश में आरक्षण एक राष्ट्र निर्माण के लिये प्रत्येक क्षेत्रों में हर समाज के लोगों की आबादी के अनुपात में भागीदारी सुनिश्चित करने का साधन है। हमारे देश के विभिन्न राज्यों में ओबीसी को आरक्षण निम्नानुसार है _आंध्रप्रदेश में 29% बिहार में 33% केरल में 40% कर्नाटक में 32% अंडमान में 38% तमिलनाडु में 50% और मध्यप्रदेश में 14% क्यों? इस तरह के आंकड़ों को लेकर अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के द्रारा संविधान बचाओ अभियान के तहत जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी। का महाआन्दोलन के ओबीसी ललित कुमार (राष्ट्रीय अध्यक्ष) अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के तत्वावधान में चलाया जा रहा है।

विगत दिनों भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित पिछड़ा वर्ग महापंचायत में अमर शहीद वीर मनीराम संघर्ष मोर्चा मध्यप्रदेश के संयोजक मूलचन्द मेधोनिया जो कि वीर शहीद मनीराम अहिरवार जी के सुपौत्र है। जिन्होंने अपने संगठन का पुरजोर समर्थन किया है।

पिछड़ा वर्ग के सभी सम्मानित नेताओं और उनके सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से अपील की है कि जिला नरसिंहपुर के अनुसूचित जाति के वीर शहीद मनीराम अहिरवार हुए हैं। जिन्होंने सन 19 42 में स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी सेना से युद्ध लडा और उन्हें परास्त कर गांव से खदेड़ दिया था ।तथा सामाजिक गुलामी व बेगारी प्रथा का अंग्रेजों से अंतिम सांसों तक मुकाबला किया था। उनके बलिदान, त्याग के कारण ही उन दिनों शूद्र समझें जाने वाली अहिरवार. जाटव, बाल्मीकि व धानुक वंशकार समाजों से बेगारी न कराने की आजादी मिली थी। ऐसे महान महापुरुष रविदास समाज में जन्मे जिन्होंने आजादी के आन्दोलन में योगदान देकर समूची समाज के लिए स्वाभिमान से जीने की आजादी दिलाई और वह अंग्रेजी सेना की प्रताड़ना व जुल्म को सहकर मातृभूमि पर शहीद हो गए।

आज हमारा देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के नाम पर अमृत महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे है। शहीदों को याद करने के नाम पर विभिन्न कार्यक्रमों को साल भर किये गये। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अनुसूचित जाति के मध्यप्रदेश के एकमात्र अहिरवार समाज के महान पराक्रमी वीर मनीराम अहिरवार जी को अभी तक राष्ट्रीय शहीद होने का दर्जा नहीं दिया गया है। जिनकी पवित्र मांग को लेकर मूलचन्द मेधोनिया ने अनुरोध किया है कि अनुसूचित जाति के अलावा पिछड़ा वर्ग के सभी संगठनों के द्रारा वीर शहीद मनीराम अहिरवार जी को सम्मान दिलाने की मांग का समर्थन होगा।

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