जबलपुर में आज भी जमींदार हैं भगवान कृष्ण:500 एकड़ जमीन के मालिक हैं, कोई भी शुभ कार्य का पहला निमंत्रण 'नंद के लाल' को दिया जाता है


 भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई कहानियां सुनी होगी, पर हम जन्माष्टमी के मौके पर ऐसे गांव की बात करने जा रहे हैं, जहां के जमींदार आज भी भगवान श्रीकृष्ण हैं। 500 एकड़ जमीन के वे खुद मालिक हैं। क्षेत्र में कोई भी शुभ कार्य का पहला निमंत्रण भगवान श्रीकृष्ण को ही दिया जाता है।



जबलपुर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बसे पटोरी गांव में भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर है। 500 एकड़ जमीन के बीच में राधा-कृष्ण भगवान का विशाल मंदिर हैं। मंदिर में विराजमान भगवान कृष्ण के नाम पर दर्ज 500 एकड़ जमीन का संचालन राधा कृष्ण मंदिर ट्रस्ट के नाम से हो रहा है।

मझौली तहसील के पटोरी गांव में 1923 में इस भव्य राधा-कृष्ण मंदिर का निर्माण द्रौपदी बाई मिश्राईन ने कराया था। मंदिर का संचालन विधिवत हो, इसके लिए उन्होंने अपनी निजी जमीन मंदिर में लगा दी। उन्होंने भगवान कृष्ण को गांव का जमींदार बनाया। तब से लेकर अब तक भगवान कृष्ण ही गांव के जमींदार हैं। इसके अलावा इसी मंदिर की एक शाखा मुरैठ गांव में भी है, जहां भगवान श्रीराम का मंदिर है। इस मंदिर में भी करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन लगी हुई है। दोनों ट्रस्टों का संचालन एक साथ किया जाता है।

पटोरी गांव में कोई भी आयोजन हो, तो सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को ही निमंत्रण दिया जाता है। मंदिर के पुजारी संत कुमार मिश्रा बताते हैं कि ग्रामीण मंदिर में निमंत्रण कार्ड भेजते हैं। यह परंपरा करीब 96 वर्षों से चली आ रही है। गांव में भोज होने की स्थिति में भी मंदिर में भगवान को निमंत्रण दिया जाता है। ऐसे अवसर पर मंदिर के पुजारी भगवान की ओर से भोज में शामिल होते हैं।

आशीर्वाद लेकर रवाना होती है बारात

गांव में किसी भी युवक की शादी हो तो बारात रवाना होने से पहले मंदिर पहुंचती है। दूल्हा यहां आशीर्वाद लेकर ही निकलता है। वहीं दुल्हन आने पर वर-वधु दोनों श्रीकृष्ण और राधा रानी का अशीर्वाद लेने मंदिर आते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक गांव में भगवान कृष्ण और राधारानी की कृपा। है

ऐसे मनाते हैं जन्म दिवस

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भादों की अष्टमी को हर साल मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भगवान को झूले पर बिठा कर झुलाते हैं। मुहूर्त पर ही यहां जन्मोत्सव मनाया जाता है। मध्य रात्रि तक ग्रामीण यहां भजन-कीर्तन करते हैं। जैसे ही भगवान का जन्म होता है लोग खुशी से झूम उठते हैं और एक दूसरे को गले लगा कर शुभकामनाएं देते हैं। सोमवार को भी मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। सुबह से ही ग्रामीण यहां दर्शन करने को पहुंच रहे हैं।

1923 में कराया था तुलसी-शालिग्राम विवाह

राधा-कृष्ण मंदिर की नींव रखने वाली मझौली की द्रौपदी बाई मिश्राईन पति गंगा प्रसाद मिश्रा की कोई संतान नहीं थी। इसके लिए इस दंपती ने हर धार्मिक प्रयास किए। 1923 में मिश्रा दंपती ने कटंगी में भव्य तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराया। इसमें देश भर के साधु संत शामिल हुए। इसके बाद गजदान भी किया। मझौली तहसील में एक राम मंदिर भी है जिसके नाम पर 1 हजार एकड़ जमीन है। इस मंदिर का भी निर्माण मिश्रा दंपती ने कराया था। इसके बाद परिवार बढ़ा।


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