नई सिविल अस्पताल में मरीज को भर्ती करने की बात को लेकर सीएमओ के साथ ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों ने किया झगड़ा


अंजना मिश्रा 

सूरत -नई सिविल अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों की दादागिरी करने का मामला सामने आया है। बुधवार शाम को ट्रॉमा सेंटर में सड़क दुर्घटना में घायल युवक को हड्डी रोग विभाग के डॉक्टर ने भर्ती करने से मना करने पर सीएमओ ने मरीज को भर्ती कर वार्ड भेजा तो हड्डी रोग विभाग का एक निवासी ट्रॉमा सेंटर आया और डॉक्टर से गाली-गलौज की.  सिविल अस्पताल में रेजिडेंट और सीएमओ के बीच चर्चा के दौरान काफी भीड़ जमा हो गई थी ।

विभिन्न विभागों में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों द्वारा वार्ड में भर्ती नहीं किए जाने के ट्रॉमा सेंटर में इमरजेंसी मरीजों के आने की कई घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।  अस्पताल के अधीक्षक ने विभाग के कुछ डॉक्टरों की जानबूझकर लापरवाही के चलते सीएमओ को आदेश दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि अगर किसी विभाग का डॉक्टर मरीज को दो घंटे तक वार्ड में भर्ती नहीं करता है तो सीएमओ द्वारा मरीज को तत्काल किसी भी वार्ड में भर्ती किया जा सकता है. ट्रॉमा सेंटर के सीएमओ जब बुधवार को मरीज को वार्ड में भर्ती के लिए भेजते हैं। तब रेजिडेंट डॉक्टर सीएमओ से झगड़ा करने के लिए पहुंचे थे l ऐसी ही एक और घटना बुधवार शाम हुई।

भेस्तान शांतिनाथ गणेश सोसायटी निवासी अक्षय गणेश पटेल (20) सड़क दुर्घटना में घायल हो गया और उसे नई सिविल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर लाया गया। ट्रॉमा सेंटर में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने शाम 3 बजे उसे ट्रॉमा सेंटर में इलाज के बाद उसे अधिक इलाज की जरुरत है इसलिए  ऑर्थोपेडिक विभाग में भेजा, पर ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों ने उसे वापस ट्रोमा सेंटर में भेज दिया. ट्रॉमा सेंटर के सीएमओ ने घायल अक्षय को केस पेपर के साथ वार्ड में भर्ती के लिए भेजा। हालांकि, यूनिट-2 के रेजिडेंट डॉक्टर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे और सीएमओ ने मरीज के दाखिले को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर से बहस की. रेजिडेंट और सीएमओ के बीच चर्चा के दौरान काफी भीड़ जमा हो गई। ऐसे में ऑर्थोपेडिक के रेजिडेंट डॉक्टरों ने ट्रॉमा सेंटर में इलाज के बाद आरोप लगाया कि मरीजों के पेट दर्द किस वजह से हो रहा  है. ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों के बीच हुई कहासुनी का आज सिविल परिसर में चर्चा का विषय बनी। अक्सर मरीजों के इलाज के लिए ऐसी लापरवाही देखने को मिल रही है l लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने पर मरीजों को परेशानी होती है। और रोज ऐसे ही आय दिन एक ना एक मरीज शिकार बनते जा रहा है l

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