ग्लोबल वार्मिंग: हजारों सालों से ग्लेशियर में दफन हैं ये वायरस, निकले तो आएगी कोरोना से भी भयंकर महामारी


 कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के कारण पृथ्वी का तापमान गर्म हो रहा है। ग्रीन हाउस गैसों में निरंतर वृद्धि के चलते धरती का औसतन तापमान बढ़ने लगा है। इस कारण ध्रुवों पर जमे ग्लेशियर पिघल रहें हैं। इससे पृथ्वी का जल चक्र प्रभावित हो रहा है, जिसके वजह से एक बड़ा खतरा उभर सकता है। बता दें कि ग्लेशियर के भीतर बड़ी मात्रा में अज्ञात वायरस छिपे हुए हैं, जो पिघलने के चलते दोबारा सक्रिय हो सकते हैं। 

हाल ही में अमेरिका के वैज्ञानिकों का एक समूह तिब्बत में ग्लेशियर के भीतर दफन वायरसों पर शोध करने के लिए गया। उन्होंने वहां से सैंपल एकत्रित किए और रिसर्च में पाया कि जिस ग्लेशियर का उन्होंने सैंपल लिया था, उसमें 28 प्रकार के जिंदा वायरस थे, जो कि 15 हजार सालों से बर्फ के अंदर दफन थे। वैज्ञानिकों ने इस अनुसंधान के बाद बताया कि ये बहुत ही खतरनाक वायरस हैं। ये अलग-अलग तरह की जलवायु में भी जीवित रहने में सक्षम हैं। ऐसे में कल को अगर ये सक्रिय होते हैं, तो परिणाम काफी भयंकर होंगे। इनके वजह से लाखों लोगों की जान जा सकती हैं। हम इनसे लड़ने के लिए अभी तैयार नहीं हैं

शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि आज अंटार्कटिका का ग्लेशियर पहले के मुकाबले काफी तेजी से पिघल रहा है। इसके ग्लेशियर में न जाने कितने वायरस छिपे हुए हैं, जो आने वाले समय में पृथ्वी पर एक भयंकर महामारी ला सकते हैं। ये महामारी आज के कोरोना महामारी से भी ज्यादा खतरनाक होगी।


हाल ही में कुछ महीनों पहले उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर पिघलने की खबर सामने आई थी। भारत के इस इलाके में काफी ज्यादा ग्लेशियर हैं। पर्यावरणविदों की माने तो निरंतर बढ़ते तापमान से इनके पिघलने की रफ्तार पहले के मुकाबले काफी तेज हो गई है। ऐसे में ग्लेशियर के भीतर दफन वायरस बर्फ पिघलने की वजह से नदी में मिल सकते हैं। इस कारण इन वायरसों का नदी के सहारे पूरे भारत भर में फैलने की संभावना है, जिसके कारण आशंका जताई जा रही है कि एक गंभीर महामारी भारत में जन्म ले सकती है।

इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। महामारी क्या होती है? ये अब हमें पता चल रहा है। इसके गंभीर परिणाम क्या हैं? ये आज हमारी आंखों के सामने दिख रहें हैं। विश्व भर में रोजाना हजारों जानें जा रहीं हैं। करोड़ों लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं। इंसान सीमित हो गया है।

ऐसे मे ग्लोबल वार्मिंग रूपी दूसरा खतरा मुंह खोले हमारे सामने खड़ा है। पृथ्वी का वैश्विक तापमान निरंतर बढ़ रहा है। अगर ये ऐसे ही बढ़ता रहा, तो दुनिया के कई बड़ी जगहें जलमग्न हो जाएंगी। कार्बन डाइऑक्साइड के कारण जल चक्र पूरी तरह बिगड़ जाएगा। इसका एक बहुत बड़ा प्रभाव कृषि क्षेत्र में भी देखने को मिलेगा। कई फसलों को नुकसान पहुंचेगा और भयंकर भुखमरी भी आ सकती है। 




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