विराग सागर जी महाराज की मुख्य शिष्या आर्यका 105 विशा श्री माता जी का नगर में हुआ मंगल प्रवेश।

ऋषभ यादव

औबैदुल्लागंज(सं):-जब तक इस धरा पर चांद और सूरज है तब तक जिन शाशन की धर्म ध्वजा लहराती रहेगी जैन धर्म अनादिनिधन धर्म है।मनुष्य जीवन बड़े ही मुश्किल से मिलता है और इस जीवन का सदुपयोग दूसरे के सेवा के साथ आत्म कल्याण में लगाओ कभी तुमने विचार किया है कि, हम किस लिए जी रहे है। हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है। एकाग्र होकर चिंतन किया करे।उक्त बात गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की मुख्य शिष्य आर्यका 105 विशा श्री ने मंगलबार को सुबह नगर में मंगल प्रवेश के दौरान महावीर मार्ग स्तिथ श्री पार्श्वनाथ जिनालय में कही।आर्यका माता जी के नगर में मंगल प्रवेश के समय 8 अन्य माता जी भी उनके साथ ही उपस्थित रही।इस मंगल प्रवेश के दौरान नगर के पार्शवनाथ सेवा दल के दिव्य घोष के साथ आगवानी की गई एवं रंगोली सजाई गई।विशा श्री माता जी की यह धर्मयात्रा औरंगाबाद से बानपुर होते हुए सोनागिर तक जाएगी।इस यात्रा का संचालन कर रही सुनीता दीदी ने बताया कि, इस भरी गर्मी में संघ का यात्रा करना वास्तव में साधु की परीक्षा है साथ ही उन्होंने बताया कि,इस यात्रा में जो भी लोग सहयोग कर रहे है बह बधाई के पात्र है।

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