*प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ और कमजोर विपक्ष के विकल्प के रूप में आम आदमी की आवाज को बुलंद करता सोशल मीडिया*


अजय राज केवट

भारत विश्व की सबसे बड़ी प्रजातांत्रिक व्यवस्था में से एक माने जाने वाले देशों में से एक है

जहां धर्मनिरपेक्षता एवं वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को सर्वोपरि माना जाता है! विगत दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल को वर्तमान का शक्तिशाली निडर प्रधानमंत्री माना जाता है !

पूर्ण बहुमत की सरकार ने निर्णय के रूप में 370 ,एनआरसी, जीएसटी, नोटबंदी, निजी करण जैसे कड़े कदम भी उठाए हैं !परंतु हाल ही के दिनों में बेरोजगारी ,बढ़ती महंगाई, महिला अपराध, लचर न्याय व्यवस्था के प्रति उदासीन सरकार द्वारा किसान कानूनों को लेकर देश के किसानों के एक विशेष तबके में सरकार की तानाशाही जैसी छवि प्रदर्शित हुई है जिसका विरोध विपक्ष को जिस ढंग से करना चाहिए था वह नहीं कर पाए!

 फल स्वरूप विपक्ष के विकल्प के रूप में किसान आंदोलन का जन्म हुआ जिसको सर्वप्रथम संबल प्रदान किया सोशल मीडिया ने धीरे-धीरे प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ ने भी किसान आंदोलन को तवज्जो देना मुनासिब समझा जिसके फलस्वरूप किसान संगठनों एवं सरकार के बीच कई बार की चर्चा परिचर्चा का दौर चला परंतु परिणाम शून्य रहा !

इसी तरह हाल ही में भारतीय नौजवानों ने बेरोजगारी को लेकर युवाओं ने भी अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया उसके बाद देश के कई नामी अखबार और न्यूज चैनलों ने भी बेरोजगारों की समस्याओं को उजागर किया मसलन-

"नेता बनना आसान है 

नौकरी मिलना मुश्किल "

"चुनाव की तारीख निश्चित होती है विज्ञप्ति के बाद परीक्षा कि नहीं"

"चुनाव परिणाम की तारीख निश्चित है

परीक्षा परिणाम की तारीख निश्चित नहीं है"

"शपथ ग्रहण की तारीख निश्चित है परंतु परीक्षा इंटरव्यू होने के बाद भी नियुक्ति की तारीख निश्चित नहीं है"

यही नहीं हम सभी ने विगत दिनों देखा है कि विश्व की सबसे पुरानी प्रजातांत्रिक व्यवस्था वाले देश अमेरिका में भी चाहे वह रंगभेद का मामला रहा हो या किसी राजनीतिक दल के नेता के समर्थकों द्वारा अमेरिकी संसद पर असंवैधानिक गतिविधियां हो या प्रतिभाओं की खोज सोशल मीडिया वर्तमान में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ और विपक्ष के विकल्प के रूप में आम आदमी की आवाज को बुलंद करने में सहायक सिद्ध हो रहा है !

जहां सरकार अपने प्रचार प्रसार एवं उपलब्धियों को गिनाने के लिए मन की बात कर रही है वही आम आदमी जन की बात को सरकार तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण सहायक के रूप में उपयोगी सिद्ध हो रहा है या यूं कहा जाए कि सोशल मीडिया आम आदमी और प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ एवं सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी पीआरओ जैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता प्रतीत होता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी!

डॉक्टर इंदर सिंह केवट 

(स्वतंत्र लेखक)

7987407285

Popular posts from this blog

शुजालपुर *कुर्सी तोड़ टी.आई रतन लाल परमार ऐसा काम ना करो ईमानदार एस.पी को बदनाम ना करो*

ट्रांसफर नीति पर अपने ही नियम तोड़ रहा एनएचएम ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन किए कम्नूटी हेल्थ ऑफिसर के ट्रांसफर

फल ठेले बाले ने नपा सीएमओ पर बरसाए थप्पड़, कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा वीडियो वायरल