नाराज कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा आजाद के अनुभव का नहीं किया इस्तेमाल


अंजना मिश्रा 

जम्मू: कांग्रेस की अंदरूनी कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. उत्तर भारत से जुड़े पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जम्मू पहुंच गए हैं. कांग्रेस के इन असंतुष्ट नेताओं को G-23 के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने पिछले साल पत्र लिखकर कांग्रेस हाईकमान पर सवाल उठाए थे. जम्मू में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का रुख पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए नई परेशानी खड़ा कर सकता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल  ने गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर कहा, 'हम नहीं चाहते थे कि आजाद साहब संसद से जाएं. हमें दुख हुआ. आजाद कांग्रेस की असलियत जानते हैं, जमीन को जानते हैं. मुझे यह बात समझ नहीं आई कि कांग्रेस इनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है?' कपिल सिब्बल ने कहा, 'सच्चाई ये है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिखाई दे रही है और इसलिए हम यहां एकत्रित हुए हैं. हमें इकट्ठे होकर पार्टी को मजबूत करना है. गांधी जी सच्चाई के रास्ते पर चलते थे, ये सरकार झूठ के रास्ते पर चल रही है.'बता दें, शांति सम्मेलन में सिर्फ गुलाम नबी आजाद समर्थक गुट के नेता शामिल हुए हैं, जिनमें पूर्व मंत्री, विधायक शामिल हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बिना नाम लिए नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 'मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, कांग्रेस ओहदा दे सकती है पर नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं.' गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर उन्होंने कहा, 'किसी को भी गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ये कोई रिटायरमेंट है, ये कोई सरकारी नौकरी नहीं है. आजाद भारत में लेह और लद्दाख का विलय हुआ है और मैं आज भी नहीं मानता कि ये स्टेट नहीं है UT है. आनंद शर्मा ने कहा, 'भारत एक नाम, एक विचारधारा पर नहीं चल सकता है.'

इस सम्मेलन में गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'मैं राज्य सभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं.' साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर का स्पेशल दर्जा खत्म होने का मुद्दा उठाया. आजाद ने कहा, 'आज कई बरसों बाद हम राज्य का हिस्सा नहीं हैं, हमारी पहचान खत्म हो गई है. राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए हमारी संसद के अंदर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी. जब तक यहां चुने हुए नुमाइंदे मंत्री और मुख्यमंत्री नहीं होंगे बेरोजगारी, सड़कों और स्कूलों की ये हालत जारी रहेगी.'

जम्मू पहुंचने वाले नेताओं में गुलाम नबी आजाद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा और राज बब्बर शामिल हैं. G-23 के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि आज कांग्रेस में जो कुछ हो रहा है, वह पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में हुई सहमति का उल्लंघन है. किसी सुधार या चुनाव के कोई संकेत नहीं हैं. बता दें कि पिछले साल G-23 के नेताओं ने सोनिया गांधी को लिखे खत में पार्टी के कामकाज को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी. इन नेताओं ने कांग्रेस के सांगठनिक चुनाव को तत्काल कराने सहित संगठन में जरूरी बदलाव की मांग भी की थी.

कहा जा रहा है कि असंतुष्ट नेता इस बात से भी नाराज हैं कि गुलाम नबी आजाद के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार नहीं हुआ. वह हाल ही में राज्य सभा से रिटायर हुए लेकिन कांग्रेस हाई कमान ने उनके लिए कोई सम्मान नहीं दिखाया. पार्टी के एक नेता ने कहा कि जब दूसरी पार्टियां आजाद को सीट देने की पेशकश कर रही थीं, प्रधानमंत्री उनकी तारीफ कर रहे थे तब कांग्रेस के नेतृत्व ने उनके प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया. जबकि रॉबर्ट वाड्रा के लिए केस लड़ने वाले एक वकील को राज्य सभा पहुंचा दिया गया.

असंतुष्ट नेताओं के समूह में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा, राहुल गांधी की तरफ से केरल में हाल ही में दिए गए उत्तर-दक्षिण बयान से चीजें और बिगड़ी हैं. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी असंतुष्ट नेताओं के इस कदम से वाकिफ है. पार्टी नेतृत्व पूरे मामले पर निगाह रखे हुए हैं और जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहता.

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