500 इमारतों के नीचे से गुजरेगी मेट्रो टनल

 


मेट्रो परियोजना में चौक बाजार से सूरत स्टेशन तक के 3.47 किमी अंडरग्राउंड मार्ग में एक और अवरोध आने की आशंका है। इस रूट में 500 इमारतों के नीचे से टनल बनेगी। टनल बनाने के लिए तीन टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) जमीन के अंदर काम करेंगी।

इन मशीनों के वाइब्रेशन से से ज्यादा पुरानी इमारतों को कोई क्षति न पहुंचे इसके लिए 15 दिनों में जियोटेक्निक सर्वे शुरू किया जाएगा। इस सर्वे में अगर किसी इमारत को खतरा दिखेगा तो रूट में फेरबदल किया जा सकता है। टीबीएम से 5.6 हर्ट्ज़ का वाइब्रेशन होगा। सिविल एक्सपर्ट के अनुसार कंस्ट्रक्शन में बहुत ही सॉफ्ट वाइब्रेशन महसूस होगा।

यह वाइब्रेशन केवल साउंड वेब जैसा होगा। एक कार को स्टार्ट करने पर जितना वाइब्रेशन महसूस होता है यह उससे भी कम होगा। अंडरग्राउंड मार्ग में चार स्टेशन चौक बाजार, मस्कती हॉस्पिटल, लाभेश्वर और सूरत स्टेशन बनेंगे। टीबीएम जमीन के नीचे 16 से 28 मीटर गहराई में 6.5 मीटर के व्यास में जमीन को काटते हुए आगे बढ़ेगी। कटाई के साथ-साथ यह कंक्रीट का एक मीटर लेयर भी बनाती चलेगी। लेयर लगने के बाद टनल का व्यास 5.6 मीटर हो जाएगा। इस तरह से कुल तीन टनल बोरिंग मशीन एक साथ काम करेंगी। टनल बनाने में एक साल का समय लगेगा यानी साल 2023 में यह टनल बनकर तैयार होगी। उसके बाद टनल के अंदर लाइन बिछाने का काम शुरू हो जाएगा।

सिविल एक्सपर्ट के अनुसार यदि कंस्ट्रक्शन में वाइब्रेशन की फ्रीक्वेंसी 20 हर्ट्ज़ होती है तो यह सुनाई देती है। अगर 200 हर्ट्ज़ का वाइब्रेशन होता है तो इमारतों में झटके महसूस होते हैं। 5.6 हर्ट्ज की वेब की केवल कंपन महसूस की जा सकती है। सूरत में जो टीबीएम मशीनें काम करेंगी उनसे इमारतों पर ज्यादा झटके नहीं लगेंगे। हालांकि एक्सपर्ट की टीम टेक्निकल सर्वे करेगी। इसमें यह देखा जाएगा कि कहीं टीबीएम के वाइब्रेशन से इमारतों को नुकसान तो नहीं होगा।

सूरत मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अनुसार 3.47 किमी अंडरग्राउंड रूट में 500 इमारतें हैं। इनमें से कई इमारतें बहुत पुरानी हैं। अगले 15 दिनों में जियोटेक्निकल सर्वे होगा। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि कौन सी इमारत कितनी पुरानी है। इसके लिए इंस्टूमेंटेशन शुरू करेंगे यानी इस हिस्से में 120 लोगों की टीम होगी, जिसमें टेक्निकल एक्सपर्ट भी होंगे। अगर इमारतों को किसी नुकसान की आशंका होगी तो रूट में थोड़ा फेरबदल किया जा सकता है।

40 किमी सूरत मेट्रो परियोजना के लिए फंडिंग से जुड़ा रास्ता साफ हो गया है। फ्रांस में इसके लिए एमओयू हुआ है। फ्रांस डेवलपमेंट एजेंसी (एफडीए) ने सूरत मेट्रो परियोजना के लिए भारत के वित्त मंत्रालय के साथ 250 मिलियन यूरो का एमओयू हस्ताक्षर किया है। एफडीए की इस फंडिंग से सूरत मेट्रो रियोजना को गति मिलेगी। कुछ दिनों से इसके काम में तेजी आई है। मेट्रो की लाइन-1 में एलिवेटेड और अंडरग्राउंड रूट के काम की शुरुआत हो गई है l

टीबीएम तीन भागों में विभाजित होती है। इसके आगे की दिशा में लगे कटर खुदाई व कटाई करता है। ये कटर इतनी सफाई से काम करते हैं कि जमीन की सतह पर कंपन का असर नहीं होता। मशीन का दूसरा भाग है सपोर्ट बेल्ट। इसका मुख्य काम कटाई किए गए क्षेत्र को कंक्रीट की प्लेट से ढंकना। जैसे ही कटर जमीन का हिस्सा काटता, इसका दूसरा भाग उस पर कंक्रीट प्लेट लगा देता है। तीसरा और मुख्य हिस्सा है मिट्टी बाहर निकालने वाला सिलिंडर। कटर से कटाई के दौरान निकलने वाली मिट्टी सिलिंडर के जरिये एक मग तक जाती है।

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