सूरत भाजपा के आदिवासी नेता मनसुख वसावा ने इस्तीफा सौंपा* *पार्टी स्तर पर नेता मनसुख वसावा का मान-मनौव्वल जारी, पत्र में इस्तीफे के कारण खुलकर स्पष्ट नहीं*
सूरत/भरुच. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रथम सरकार में आदिवासी विकास विभाग के राज्यमंत्री और भरूच लोकसभा सीट से लगातार छह बार सांसद रहे मनसुख वसावा ने मंगलवार दोपहर पार्टी से इस्तीफे का पत्र गुजरात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल को भेज दिया है। सांसद वसावा का प्रधानमंत्री को लिखा एक पत्र भी जारी हुआ है और उसमें उन्होंने बताया है कि वे जल्द ही संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा देने वाले हैं।
दक्षिण गुजरात में भाजपा के आदिवासी नेता व सांसद मनसुख वसावा ने अपने पत्र में कहा कि वह भाजपा संगठन और मोदी सरकार से पिछले लंबे समय से वफादारी के साथ जुड़े रहे हैं और उन्होंने पार्टी तथा जिंदगी के सिद्धांतों का बहुत ही सावधानी से पालन भी किया है। एक इंसान होने के नाते मुझसे भी गलती हो गई, इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं। हिंदी में प्रधानमंत्री के नाम लिखे पत्र में मनसुख वसावा ने स्टेेच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास इको सेंसेटिव जोन को वहां के आदिवासियों के हितों का हवाला देते हुए उसे रद्द करने की मांग भी की थी। गौरतलब है कि वे पिछले कुछ समय से सरकार की नीति-रीति और कामकाज से खपा दिखाई दे रहे थे। बताया जा रहा है कि वह इसलिए भी नाराज थे कि उनकी पार्टी में उपेक्षा की जा रही है। पिछले दिनों उन्होंने आदिवासियों के मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ कई विवादास्पद बयान दिए इसके अलावा स्टेेच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास की जमीनों को लेकर भी उनके बयान चर्चा में रहे। उन्होंने कहा था कि भूमाफिया कोई भी हो चाहे पार्टी का ही क्यों ना हो, उसके खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। इसके अलावा और भी कई मुद्दे रहे हैं, जिनको लेकर उनके लगातार बयान आते रहे। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इससे पहले उन्होंने गुजरात में आदिवासी महिलाओं की तस्करी का मुद्दा भी मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के समक्ष उठाया था।
-*समझाने की कोशिश जारी*
पार्टी के वरिष्ठ नेता और भरुच के सांसद मनसुख वसावा का इस्तीफा फिलहाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को नहीं मिलने की जानकारी देते हुए बताया है कि उन्हें समझाने का प्रयास किया जा रहा है और उनकी नाराजगी की खास वजहें भी भाजपा प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेता जानने की कोशिश कर रहे हैं।