क्राइम के बदले सालभर कोरोना से लड़ी पुलिस* - *सूरत क्राइम फ्लैश बैक - 2020*


  

सूरत. अपराध और अपराधियों से दो चार होने वाले पुलिस महकमें के लिए भी कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 चुनौतियों से भरा रहा। इस दौरान पुलिस ने कई ऐसे कार्य भी किए जो भूतकाल में शायद पहले कभी नहीं किए थे। इन मानवीय कार्यो की बदौलत पुलिस को ब्रिटिश काल से चली आ रही अपनी नकारात्मक छवि को सुधारने का मौका मिला। करोना गाइड लाइन, पलायन व साइबर क्राइम की चुनौतियों के बीच पुलिस ने इस साल नशे के सौदागरों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया।

लॉकडाउन में व्यवस्था और पलायन की चुनौती

कोविड-19 चलते लगाए गए करीब दो माह के लॉक डाउन के दौरान व्यवस्था संभालने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस महामारी में बिना बल प्रयोग के व्यवस्था बनाए रखना और साथ ही स्वयं को भी बचाए रखना पुलिस व सुरक्षा बलों के लिए बेहद चुनौती पूर्ण था। कफ्र्यू का पालना के लिए ८५ फीसदी पुलिसकर्मी सडक़ों पर तैना रहे। लॉक डाउन के दौरान बेरोजगार श्रमिक बड़ी संख्या में पलायन के लिए सडक़ों पर उतर आए थे। वराछा, पांडेसरा, पालनपुर जकातनाका व लिम्बायत के अलावा शहर से सटे पलसाणा, कडोदरा में भी हजारों श्रमिकों की भीड़ से पुलिस को निपटना पड़ा। कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी हुई। पुलिस ने प्रशासन के साथ मिल कर २२ लाख प्रवासी श्रमिकों को बसों, ट्रेनों में उन्हें अपने गांव भेजने की व्यवस्था भी संभाली।

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