सूर्यपुत्री तापी माता का जन्मदिन

सूरत. आषाढ़ शुक्ल सप्तमी पर शनिवार काे तापी नदी किनारे स्थित अाेवाराें पर सूर्यपुत्री तापी माता का जन्मदिन मनाया गया। इस मौैके पर शहर की कई संस्थाओं के अलावा श्रद्धालुओं ने भी तापी मैया की पूजा-अर्चना की। स्कंद पुराण के तापी महात्म्य में तापी माता के अवतरण का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा भविष्य पुराण, महाशिव पुराण, महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी इनका वर्णन मिलता है। हर साल हजाराें की संख्या में लाेग तापी माता की पूजा और दर्शन के लिए यहां पर उमड़ते हैं। इस अवसर पर कई धार्मिक संस्थाएं माता काे चुनरी चढ़ाती हैं और पूजा करती हैं। लेकिन इस साल काेविड-19 के चलते शहर के ओवाराें पर काफी कम संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। हरिअेाम आश्रम यानी पौराणिक कुरूक्षेत्र धाम में तापी त्रिवेणी संगम के सूर्याेदय घाट पर श्मशान भूमि ट्रस्ट परिवार की अाेर से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ तापी जयंती के अवसर पर नदी में चुनरी चढ़ाई गई। इसके अलावा शहर के अन्य जगहों पर भी तापी माता की पूजा-अर्चना कर श्रद्धालुओं ने मन्नत मांगी। वहीं शहर के लोगों ने अपने-अपने घरों में ही तापी माता की आराधना कर उनसे बीमारी दूर करने की प्रार्थना की।


श्मशान भूमि ट्रस्ट परिवार के कमलेश सेलर ने बताया कि इस बार तापी माता काे लगभग 50 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई गई। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के मद्देनजर ट्रस्ट के 15 लाेग शामिल रहे। इसमें ट्रस्ट के लाेग दाे-तीन संत कथाकार कृणाल महाराज और एसएमसी के डिप्टी कमिश्नर सीवाई भट्ट शामिल रहे। कमलेश सेलर ने बताया कि हर साल 150 मीटर से लंबी चुनरी चढ़ाई जाती थी। इसमें हजाराें की संख्या में लाेग शामिल हाेते थे। हर साल जाे चुनरी चढ़ाई जाती थी। उन्होंने बताया कि इस साल काफी कम संस्थाओं ने भी चुनरी चढ़ाई। कार्यक्रम भी काफी छाेटा रहा। वहीं अखिल भारतीय जीण माता सेवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष शरद खंडेलवाल ने बताया कि संघ की ओर से हर साल 108 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई जाती थी लेकिन इस साल केवल 5 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई गई। तापी माता के लिए मावा से बना केक एक कन्या से कटवाया गया। साथ ही तापी मैया की आरती, केक रूप में प्रसाद, पुष्प श्रीफल आदि अर्पित किया गया। 9 महिलाओं काे साड़ी वितरित की गई।


अखिल भारतीय जीण माता सेवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष शरद खंडेलवाल ने बताया कि तापी माता के उद्गम स्थल मुलताई और मध्य प्रदेश में स्थित बारह लिंग स्थान पर 108-108 मीटर की चुनरी संघ की ओर से भेजी गई। सुहाग पिटारी, ध्वजा, इत्र आदि भी भेजी गई।


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