6 जुलाई से सावन मास; सोमनाथ, महाकालेश्वर में भक्त कर सकेंगे दर्शन, कोरोना की वजह से महाराष्ट्र के 4 ज्योतिर्लिंग बंद रहेंगे

6 जुलाई से सावन मास शुरू हो रहा है। ये भगवान शिव का महीना है। हर साल इस महीने में देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन, इस साल कोरोना वायरस की वजह से 12 में से 6 ज्योतिर्लिंग भक्तों के लिए बंद रहेंगे या इनके खुलने का निर्णय अभी तक नहीं हो सका है।


6 ज्योतिर्लिंग सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (हैदराबाद), महाकालेश्वर (उज्जैन), ऊँकारेश्वर (खंडवा), काशी विश्वनाथ (बनारस), नागेश्वर मंदिर (गुजरात) में दर्शन व्यवस्था शुरू हो गई है। अगर आप भी सावन के महीने में किसी ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाने की योजना बना रहे हैं, तो ये खबर आपके काम की है।


इन ज्योतिर्लिंगों की ऑफिशियल वेबसाइट्स पर भक्तों को रजिस्ट्रेशन करना होगा। महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए मंदिर की लाइव दर्शन ऐप पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद दर्शन के लिए जो टाइम स्लॉट मिलेगा, उसी समय में भक्त मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। 65 साल से अधिक उम्र के लोग और 10 साल से छोटे बच्चों को मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश नहीं मिल सकेगा।


पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ, चंद्रमा ने की थी इसकी स्थापना


सोमनाथ - बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ है। ये गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। चंद्र यानी सोम ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। चंद्र के नाम पर ही इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा है।


मल्लिकार्जुन - ये ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। यहां पार्वती का नाम मलिका और शिवजी का नाम अर्जुन है। इसलिए, इसे मल्लिकार्जुन कहा जाता है।


महाकालेश्वर - ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां की भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है।


ऊँकारेश्वर - मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के पास स्थित है ऊँकारेश्वर ज्योतिर्लिंग। इस मंदिर के पास नर्मदा नदी है। पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊँ का आकार बनता है। यह ज्योतिर्लिंग ऊँकार यानी ऊँ का आकार लिए हुए है, इसी वजह से इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।


केदारनाथ - केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित है। जिस तरह कैलाश पर्वत का महत्व है, वैसा ही महत्व केदारनाथ क्षेत्र का भी माना गया है। ये मंदिर हिमालय क्षेत्र में स्थित है, इसीलिए शीतकाल में बंद रहता है।


भीमाशंकर - भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।


काशी विश्वनाथ - उत्तरप्रदेश के वाराणसी यानी काशी में स्थित है विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। काशी सबसे प्राचीन पुरियों में से एक है। इसे भगवान शिव का घर भी कहते हैं।


त्र्यंबकेश्वर- महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है त्र्यंबकेश्वर मंदिर। मंदिर के पास ही ब्रह्मागिरि पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। मान्यता है कि शिवजी को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।


वैद्यनाथ - वैद्यनाथ 12 ज्योतिर्लिगों में नौवां है। इस मंदिर को लेकर मतभेद हैं। महाराष्ट्र स्थित वैद्यनाथ मंदिर और झारखंड स्थित वैद्यनाथ मंदिर, इन दोनों को ज्योतिर्लिंग माना जाता है। झारखंड में देवघर जिले वैद्यनाथ मंदिर स्थित है। महाराष्ट्र में परली स्टेशन के पास ही परली गांव में भी वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है।


नागेश्वर - यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका में स्थित है। शिवजी नागों के देवता हैं और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। द्वारका से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है।


रामेश्वरम - ये ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम् में स्थित है। मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। इसी वजह से इसे रामेश्वरम् कहा जाता है।


घृष्णेश्वर - घृष्णेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।


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