*सोनू सूद -फिलमी जगत का खलनायक रियल लाईफ में मजदूूूरो का नायक * कौन कहता है आसमां मै छेद नहीं होता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो!

सोनू सूद (जन्म 30 जु लाई 1973, मोगा, पंजाब में) एक भारतीय मॉडल और अभिनेता हैं जो हिन्दी, तेलुगू कन्नड़ और तमिल फ़िल्मों में अभिनय करते हैं। वो मिस्टर इंडिया प्रतियोगिता के प्रतियोगी भी रहे हैं, वो अपोलो टायर्स, एयरटेल आदि विज्ञापनों में भी काम करते हैं।टॉलीवुड फ़िल्मों में वो फ़िल्म अरुंधति (2009) में प्रतिपक्षी पसुपति के अभिनय के लिए जाने जाते है


 


- मज़दूरों के मसीहा बने सोनू सूद बोले, जिन लोगों को घर भेजा, नम थीं उनकी आंखे


 


सोनू सूद ने कहा कि, "जिन मजदूरों को हमने सड़कों पर छोड़ दिया. वो वे लोग हैं, जिन्होंने हमारे घर बनाए, जिन्होंने हमारे लिए सड़कों का निर्माण किया


परिवार से मिली मदद की सीख : सोनू सूद


'मुझे लगा कि इन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते. हमें इनके लिए कुछ करना चाहिए'


महाराष्ट्र समेत कई सरकारों से मंजूरी ली : सूद


कोरोना महामारी के बीच बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद निरंतर प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर उनकी इस पहल की काफी तारीफ भी हो रही है. लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. इन परेशानियों के बीच कई लोग उनकी मदद को आगे आए हैं. इन लोगों में एक बड़ा नाम है बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद. सोनू सूद को फिल्मी किरदार में अब तक विलेन के रूप में देखते रहे हैं, लेकिन समाज में वो हीरो के तौर पर निकलकर आए हैं. उन्होंने इस संकट की घड़ी में हजारों मजदूरों की मदद की है. 


सोनू सूद का मानना है कि "जिन मजदूरों को हमने सड़कों पर छोड़ दिया. वो वे लोग हैं, जिन्होंने हमारे घर बनाए, जिन्होंने हमारे लिए सड़कों का निर्माण किया. हमारे ऑफिस बनाए. हम जहां शूटिंग करते हैं, वो जगह बनाई. आज हमने उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया. हमने उनके बच्चों, उनके माता-पिता के साथ छोड़ दिया. हम उनके बच्चों के जहन में वो यादें डाल रहे हैं, जब वो बड़े होंगे तो याद करेंगे कि हजारों किलोमीटर पैदल चलकर बड़ी मुश्किल से अपने घरों में पहुंचे और कुछ लोग तो पहुंच भी नहीं पाए. मुझे लगा कि इन लोगों को ऐसे नहीं छोड़ सकते. हमें इनके लिए कुछ करना चाहिए. 


सोनू सूद ने बताया कि हम बहुत सारे लोगों को हाइवे पर खाना खिला रहे थे. मैं मेरी एक दोस्त के साथ खाना खिला रहा था, तो हमें एक परिवार मिला, जो पैदल कर्नाटक की ओर जा रहा था. 600-700 किलोमीटर दूर जा रहे थे. छोटे-छोटे बच्चे थे. फिर मैंने सोचा कि क्यों ना परमिशन लेकर हमें इन्हें इनके घर छोड़ें. फिर मैंने इनके लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार से सारी मंजूरी ली. 


सोनू सूद जिस तनमयता से प्रवासी मजदूरों के हमदर्द बने है काश की फिल्मी दुनिया मै खलनायक जिस तरह नायक बनकर आया है वैसे ही कुछ महानायक, नायक भी उनके इस पुण्य मार्ग पर आ जाएं और हमारी सरकरों को भी इससे सीख लेना चाहिए कि अगर कुछ अच्छा करना है तो कोई भी रुकावट


नहीं होती है!


Popular posts from this blog

शुजालपुर *कुर्सी तोड़ टी.आई रतन लाल परमार ऐसा काम ना करो ईमानदार एस.पी को बदनाम ना करो*

ट्रांसफर नीति पर अपने ही नियम तोड़ रहा एनएचएम ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन किए कम्नूटी हेल्थ ऑफिसर के ट्रांसफर

फल ठेले बाले ने नपा सीएमओ पर बरसाए थप्पड़, कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा वीडियो वायरल