शिवराज और सिंधिया में बढ़ेगा तनाव,
शिवराज सरकार में पांच मंत्रियों की ताजपोशी,
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सहयोगी के रूप में सरकार में 5 मंत्रियों को शपथ दिलाकर महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व सौंपा है l इन पांच मंत्रियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के दो लोगों को लिया है शिवराज ने मंत्रिमंडल का गठन बढ़े दबाव और दावों के बीच किया है क्योंकि उन्हें पता था कि मंत्रिमंडल के गठन में बीजेपी विधायकों और सिंधिया के बीच नाराजगी पनपेगी l और हुआ भी वही शिवराज जी ने बहुत साधने की कोशिश जरूर की लेकिन नाराजगी और असंतोष को दूर नहीं कर पाए l हालांकि यह मिनी मंत्रिमंडल है लेकिन इसमें भी सरकार का भविष्य अभी से दिखने लगा है l अब जब आगे भी मंत्रियों को बनाया जाएगा तब भी यही स्थिति निर्मित होगी l मतलब साफ है कि अब शिवराज और सिंधिया मैं अनवर होने वाली है सिंधिया अपने खेमे से अधिक से अधिक लोगों को मंत्री बनाना चाहते हैं l यदि शिवराज सिंधिया को साधते है तो अपने विधायकों को मंत्री नहीं बना पाएंगे ऐसी स्थिति में उन्हें दोनों तरफ से नाराजगी झेलनी पड़ेगी दबाव और दावों की लड़ाई में मुसीबत सरकार की ही होगी, क्योंकि इस बार दावेदारी कई विधायकों की है l फिलहाल सरकार कोरोना वायरस की लड़ाई लड़ रही है l इसलिए कोई नहीं चाहता कि मुसीबत की इस घड़ी में किसी प्रकार की फूट का प्रदर्शन किया जाए पर यह भी सत्य है जब देर सवेर स्थितियां सामान्य होंगी और सरकार में और मंत्रियों की शपथ होगी तब असली स्थिति सामने आएगी l उस समय शिवराज जी को अपनों को भी साधना होगा l और सिंधिया को भी साधना होगा यह बात तो स्पष्ट है कि सिंधिया अपनी शर्तों के अनुसार सरकार में सहयोग करेंगे यदि उन्हें लगा कि सरकार में सहयोग और महत्व नहीं मिल रहा है तो वह मुसीबत खड़ा करने में परहेज नहीं करेंगे हालांकि अभी 24 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होना बाकी है और यह चुनाव सिंधिया समर्थकों के क्षेत्रों में होना है l
यदि इन क्षेत्रों से सिंधिया समर्थक जीतकर आते हैं तो दबाव बहुत ज्यादा बढ़ेगा l शिवराज सिंह चौहान की भलीभांति जानते कि वर्तमान समय में सरकार असमंजस की स्थिति में है l 24 उपचुनाव में चुनाव ही जीतना है और जीतने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में साधना आने वाला समय शिवराज के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा l प्रदेश में बीजेपी की सरकार भले ही बन गई हो लेकिन स्थायित्व नहीं है l सरकार का भविष्य उपचुनावो पर टिका है ! परेशानी यह है कि सभी को जीतना भी है !फिर मंत्रिमंडल मैं भी शामिल करना है यानि सरकार कि धुरी सिंधिया के इर्द गिर्द ही घूमना है l सरकार को अपनों से कम सिंधिया से ज्यादा लड़ना है ! सिंधिया भी समझ चुके है कि सरकार का भविष्य उन पर टिका है तो वह किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे ! सरकार पर दवाब बराबर बनाकर रखेंगे l एक पत्रकार होने के नाते मेरा मानना हैं कि यह आपातकाल से भी भयावह स्थिति है ऐसे में सिंधिया खेमे को भी अहम और वहम त्याग कर शिवराज जी का साथ देना चाहिए l क्योंकि इस समय पूर्ण मंत्रीमंडल की आवश्यकता है और कोरोना महामारी के बाद भी स्थिति संभालने के लिए स्थायी सरकार की भी आवश्यकता होगी अगर सरकार डगमगायी तो मध्यप्रदेश के निर्दोष जनता पर दोहरी मार पड़ेगी l