प्रवासी मजदूरों को घर लौटने की छूट से डरी इंडस्ट्री, कैसे होगा काम?

नई दिल्ली
लॉकडाउन से ठप औद्योगिक गतिविधियों के बीच प्रवासी मजदूरों के घर लौट जाने की केंद्र सरकार की प्रस्तावित छूट से उद्योग जगत के चेहरे पर उदासी छाई हुई है। इनका कहना है कि प्रवासी मजदूरों के भरोसे ही औद्योगिक गतिविधियां चलती हैं। यदि वे ही वापस लौट जाएंगे तो फिर कारखानों में काम कैसे होगा। हालांकि सरकार के इस फैसले से बड़े उद्योगों के चेहर पर उतनी चिंता नहीं है, जितनी चिंता एमएसएमई के चेहरे पर है। लघु उद्यमियों का कहना है कि उनके यहां बड़ी-बड़ी मशीनें नहीं होती हैं, वे तो मजदूरों के भरोसे ही काम करते हैं। इसलिए सरकार इस समय मजदूरों से अपील जारी करे कि वह फिलहाल अपने गांव वापस नहीं जाएं।
कैसे चलेगी इंडस्ट्री?
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बिना मजदूरों के उद्योगपति अपनी फैक्ट्री खोलकर क्या करेंगे। जब पर्याप्त संख्या में काम करने वाले नहीं होंगे तो उनका फैक्ट्री खोलना या ना खोलना सब बराबर है। इसलिए सीआईआई की तरफ से सरकार से इस बारे में एक रिप्रजंटेशन पहले ही दे दिया गया है कि आगामी 4 मई से चरणबद्ध तरीके से काम करने की छूट मिले। अभी जबकि सभी अपने कारखाने को खोलने की तैयारी कर रहे हैं तो सरकार मजदूरों को गांव वापस लौटने की छूट दे रही है। ऐसे में इंडस्ट्री कैसे चलेगी। मजदूरों को तो वापस लाना होगा।मजदूरों को रोकने के लिए सरकार अपील करे
लघु उद्यमियों के संगठन पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रवाल का कहना है कि ऐसे समय में सरकार अपील जारी करे कि जो मजदूर इस समय जहां हैं, वहीं रहें। अगले सप्ताह की ही तो बात है, चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था के हर हिस्से को खोला जाएगा। इसलिए काम मिलने में देरी नहीं होगी। उनका कहना है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह या एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी लोगों से अपील करते हैं तो उसका असर पड़ता है।

मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था हो


पीएचडी चैंबर का कहना है कि लॉकडाउन शुरू होते ही बदहवासी में दिल्ली-एनसीआर से ही लाखों मजदूर अपने गांव चले गए हैं। इसी तरह देश के अन्य औद्योगिक इलाकों से भी मजदूरों का पलायन हुआ है। इसलिए सरकार गांव लौट गए मजदूरों से भी अपील करे कि वह जितना जल्द हो सके, वापस काम पर लौट जाएं। उनकी वापसी के लिए सरकार कुछ विशेष व्यवस्था भी करे।

बीमा समेत सभी सुविधाएं मिलेंगी
उद्योग संगठनों का कहना है कि यूं तो कारखानों में काम करने वाले सभी स्थायी कर्मचारियों को बीमा समेत सभी सुविधाएं मिलती हैं लेकिन कोविड-19 रोग के फैलाव को देखते हुए सभी तरह के कर्मचारियों के लिए अलग से बीमा का प्रावधान किया जा सकता है। इसके अलावा फक्ट्री में मास्क, ग्लव्स आदि की भी पूरी व्यवस्था होगी।

जूट मिल बंद होने से गेहूं खरीद पर असर
लॉकडाउन की वजह से जूट की मिलें हैं और इस कारण मंडियों में बोरी की कमी हो गई है। इसलिए गेहूं की खरीद और उसकी बैगिंग का प्रभावित हो रहा है। इसे देखते हुए जूट मिलों के संगठन इंडियन जूट मिल्स असोसिएशन के अध्यक्ष राघवेंद्र गुप्ता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेटर लिखकर जूट उद्योग की वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराया है। उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए जूट के बोरे का भी अच्छा ऑर्डर आया था लेकिन उत्पादन नहीं होने के कारण लगभग साढ़े छह लाख जूट के बैग के ऑर्डर पर पानी फिर गया। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में लगभग 60 जूट मिले हैं।


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