कैंसर पीड़ित बहन की मदद के लिए 49 साल की महिला ने किया 2400 KM का सफर

देबेश्वरी को जब पता चला कि उनकी बहन को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत है, जो गुणगांव में भर्ती थीं. इसके बाद देबेश्वरी का परिवार मणिपुर से गुड़गांव रवाना हुआ. लॉकडाउन के कारण रास्ते में होटल या रेस्तरां बंद थे.


नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown)  के बीच जो जहां है, वहीं रहने को मजबूर है. सब कुछ थम सा गया है. इस मुश्किल वक्त में भी कुछ लोग हजारों किलोमीटर का सफर कर रहे हैं. ऐसे ज्यादातर लोगों की मंजिल उनके घर हैं. ऐसे ही वक्त में 49 साल की देबेश्वरी 2409 किमी की दूरी नापकर कैंसर पीड़ित बहन सीएच निंगोली के पास पहुंची हैं. निंगाली को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत है.


देबेश्वरी को मणिपुर (Manipur) से कार के जरिये गुड़गांव पहुंचने में चार दिन लगे. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, वे 22 अप्रैल को गुड़गांव पहुंचीं. उनकी बहन निंगोली को फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में जनवरी के आखिरी सप्ताह में भर्ती कराया गया था. उन्हें एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया है जो एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जिससे वॉइट रेड सेल्स का अतिरिक्त उत्पादन, सामान्य ब्लड के उत्पादन को प्रभावित करता है.


इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लड एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट के डॉक्टर राहुल भार्गव ने कहा, 'उन्हें (निंगोली) हाई-रिस्क कैंसर है, जिसमें बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं होने पर मृत्यु दर 100% है.  उनकी पहली दो कीमोथेरेपी नाकाम रही, तीसरी बार में उनके शरीर ने अच्छा रिस्पांस दिया. तब हमने उनके परिजनों को बताया कि वे ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हैं.’


देबेश्वरी को 7 अप्रैल को निंगोली की स्थिति के बारे में पता चला. उस वक्त देशभर में लॉकडाउन था. उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन हटा दिया जाएगा. देबेश्वरी की बेटी विलीना एल, ने कहा, ‘हमने 15 अप्रैल के लिए फ्लाइट बुक की. लेकिन 13 अप्रैल को लॉकडाउन बढ़ गया. हमने राज्य सरकार से संपर्क किया. हमने पूछा कि क्या मेरी मां कार्गो विमान से दिल्ली जा सकती हैं. अनुमति नहीं मिली. इसके बाद हमने कुछ ट्वीट किए, जिससे लोगों और सरकारी एजेंसियों का समर्थन मिला.


उन्होंने बताया, ‘लॉकडाउन के तहत, केवल दो लोगों को एक कार में यात्रा करने की अनुमति है. लंबी दूरी होने के कारण हमें पांच लोगों (दो ड्राइवर और तीन परिजन) के लिए अनुमति मिली. उधर, डॉक्टरों ने निंगोली को एक और कीमोथेरेपी की, ताकि वे ट्रांसप्लांट के लिए तैयार रहें. ’


विलीना एल, ने कहा, ‘लॉकडाउन के कारण रास्ते में होटल या रेस्तरां नहीं खुले थे. हम इतनी लंबी दूरी, खासकर पहाड़ी रास्तों की यात्रा से चिंतित थे. फिर हमने जिला अधिकारियों, पुलिस और एनडीआरएफ (NDRF) से संपर्क किया, जिन्होंने रास्ते में होटल और गेस्ट हाउस में हमारे ठहरने की व्यवस्था की.’ उन्होंने कहा कि कई एनजीओ ने रास्ते में खाने का इंतजाम किया.


22 अप्रैल को गुड़गांव पहुंचने पर देवेश्वरी और अन्य लोगों का कोविड-19 टेस्ट हुआ, जिसकी रिपोर्ट शनिवार को निगेटिव आई. अब उन्हें जरूरी दवाइयां दी जा रही हैं, ताकि वे ट्रांसपंट के लिए बोन मैरो दान कर सकें.’


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