अयोध्या में वृद्ध साधु की भूख से मौत, पोस्टमार्टम या दाह संस्कार के बजाय स्थानीय पुलिस ने शव नदी में फेंका!




















इस सिलसिले में जनचौक की अयोध्या में सरयू के घाट पर फूल बेचने वाले स्कंद दास से बात हुई। उन्होंने बताया कि साधु बारादरी के सामने रहते थे। और छह दिन से भूखे थे। और बीमार भी चल रहे थे। साधु की उम्र 80 साल के आस-पास थी। इलाक़ा कोतवाली थाने के तहत आता है। बताया जा रहा है कि पिछले छह दिनों से वह वहीं पड़े हुए थे। स्थानीय मीडिया  ने बताया कि आज सुबह तक उनका शव रेत में पड़ा हुआ था। लेकिन अचानक वहाँ से ग़ायब हो गया। स्थानीय लोगों से पूछने पर पता चला कि कुछ पुलिसकर्मियों ने उसे उठवाकर सरयू में फेंक दिया। उनका कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया जिससे पूरे मामले को रफा-दफा कर दिया जाए और किसी को कानों-कान ख़बर तक न हो। इसके पीछे एक दूसरी वजह पोस्टमार्टम से बचने की भी बतायी जा रही है। स्थानीय पुलिस ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क किया और उनसे मामले को दबाने का इशारा किया।


इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह रही कि बजाय पूरी रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार करने के स्थानीय पुलिस ने उनका शव सरयू नदी में फेंकवा दिया। ऐसा पुलिस पर आरोप है। उक्त साधु की मौत सरकार के सभी दावों की पोल खोल रही है। समाचार लिखे जाने तक साधु की शिनाख्त नहीं हो पाई थी।


इस मसले पर फैजाबाद के सीओ सिटी अरविंद चौरसिया ने बताया कि वो इलाका उनके क्षेत्र में नहीं आता। आप द्वारा सूचना देने पर उस क्षेत्र के इंस्पेक्टर से बात हुई उसने बताया कि मामले की सूचना पुलिस को है। और उसकी जांच की जा रही है। जबकि दूसरी तरफ खुद को मृतक साधु का चेला कहने वाले दीपक गुप्ता ने बताया कि साधु एक महीने से बीमार थे उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था। कल रात पानी बरसा उसी में शायद उनकी मौत हो गयी। पुलिस मौके पर आयी थी और उसने पंचनामा किया।


यह सब कुछ उस समय हो रहा है जब सूबे में हिंदू हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार है। और इसका दंभ भरने का वह कोई मौक़ा नहीं चूकती। अयोध्या में रामनवमी के दिन योगी आदित्यनाथ करोड़ों रुपये दिया और दीवाली पर फूंक सकते हैं लेकिन वहाँ के गरीब साधु, संत और भक्तों की जब बारी आती है तो उनका ख़ज़ाना ख़ाली हो जाता है।


शायद सूबे में साधुओं पर शामत आयी हुई है। बुलंदशहर में दो साधुओं की तलवार से जघन्य तरीक़े से हत्या कर दी गयी। पालघर लिंचिंग का मसला उठाने वाले कथित हिंदुओं के रक्षक इस पूरे मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। 








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