कोरोना प्रभावित मुंगेर में बड़ी लापरवाही, मेडिकल टीम ने दफना दी संदिग्ध मरीज की लाश
पटना/मुंगेर
बिहार के मुंगेर से राज्य का पहला कोरोना वायरस मरीज सामने आया था। कतर से लौटे उस युवक की मौत के बावजूद उसमें कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी। उसके संपर्क में आए 10 लोगों को अब तक कोरोना पॉजिटिव पाया जा चुका है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही देखने को मिल रही है। एक संदिग्ध कोरोना पेशेंट बच्ची की मौत के बावजूद उसका सैंपल नहीं लिया गया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो मेडिकल टीम ने आनन-फानन में शव को दफना दिया। हैरान करने वाली बात ये है कि एक निजी अस्पताल के जिस कर्मचारी को कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया था, यह बच्ची उसी गली में रहती थी।
सोमवार रात 9 बजे हुई मौत
मिली जानकारी के मुताबिक, कासिम बाजार थाना क्षेत्र के हजरतगंज बाड़ा निवासी मो. जुबराशी ठेला चलाता है। सोमवार को उसकी 8 साल की बेटी की तबीयत अचानक खराब हो गई। शाम करीब 5 बजे उसे ठेले पर लादकर जुबराशी बच्ची को सदर अस्पताल ले गए। उसे सर्दी, खांसी, बुखार के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ थी. ड्यूटी पर तैनात डॉ के. रंजन ने उसका इलाज किया और उसे अस्पताल में रोक लिया. उसकी तबीयत में कोई सुधार ना देखकर डॉक्टर से उसे भागलपुर रेफर किया। मो. जुबरासी ने कहा कि वह बेहद गरीब है और बाहर जाकर उसका इलाज नहीं करवा सकता। शाम करीब 7 बजे वह बच्ची को वापस लेकर अपने घर चला गया. रात करीब 9 बजे बच्ची की मौत हो गई।
कोरोना मरीज के पड़ोस में रहती थी बच्ची
मो. जुबराशी का परिवार उसी गली में रहता है, जहां के एक व्यक्ति को कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया था और उसकी मौत हो चुकी है। बच्ची की मौत के बाद, गली के लोगों में खलबली मच गई। कोई भी जुबराशी के घर नहीं गया। लोगों को डर है कि बच्ची की मौत कहीं कोरोना वायरस की वजह से ना हुई हो। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को खबर की गई। मंगलवार सुबह स्वास्थ्य विभाग की एक टीम जुबराशी के घर पहुंची। मगर ना तो बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया, ना ही उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया। तीन सदस्यीय मेडिकल टीम ने बच्ची को कब्रिस्तान ले जाकर दफना दिया।