दिल्ली हिंसा पर भारत ने ओआईसी के बयान पर जताई सख्त आपत्ति, दी ये नसीहत
भारत ने गुरुवार को दिल्ली हिंसा पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि संगठन का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ओआईसी से आग्रह किया है कि इतने संवेदनशील समय में वह इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान ना दें।कुमार ने कहा कि ओआईसी की तरफ से दिल्ली हिंसा को लेकर दिए गए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक हैं। वर्तमान समय में दिल्ली हिंसा को लेकर सामान्य स्थिति लागू करने और लोगों के बीच शांति के लिए आत्मविश्वास पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम इन संगठनों से इस संवेदनशील समय में गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देने का आग्रह करते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह घटना कैसे हुई, किसने इस हिंसा का नेतृत्व किया, जाहिर इस मामले की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां हालात को सामान्य स्थिति में लाने के लिए काम कर रही हैं।
ओआईसी ने की हिंसा की निंदा
ओआईसी ने मोदी सरकार से मुस्लिम विरोधी हिंसा के भड़काने वाले और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने। साथ ही सभी मुस्लिम नागरिकों की सुरक्षा और पूरे देश में इस्लामिक पवित्र स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा था। गौरतलब हो कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हुई हिंसा में कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
अब तक चीन और जापान से निकाले गए 842 भारतीय
रवीश कुमार से जब पूछा गया कि म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंट के भारत दौरे पर क्या म्यांमार के राष्ट्रपति और पीएम मोदी के बीच रोहिंग्या मुद्दे पर चर्चा की गई थी। इस पर प्रवक्ता ने कहा कि यदि आप हस्ताक्षर किए गए एमओयू की संख्या को देखते हैं, तो कम से कम चार से पांच समझौता ज्ञापन हैं जो वास्तव में रखाइन राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास संबंधित हैं, तो इस बात पर बहुत चर्चा हुई कि भारत म्यांमार के उस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन कैसे कर सकता है।
बता दें कि म्यांमार का रखाइन प्रांत वह क्षेत्र हैं जहां रोहिंग्याओं की आबादी रहती है।