रेखा शर्मा के लिए ''रेखा'' पार कर दी जनसंंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा ने


             प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा के काले कारनामों में एक और काला कारनामा जुड़ गया है। पी.सी.शर्मा ने यह कारनामा अपने विभाग से हटकर शिक्षा विभाग में किया है। दरअसल राजधानी के प्रतिष्ठित मॉडल स्कूल में जूनियर लेक्चरर के पद पर रेखा शर्मा पदस्थ थीं। हाल ही में रेखा शर्मा को मॉडल स्कू‍ल का प्रिंसीपल बनाया गया है। रेखा शर्मा को प्रिंसीपल बनाने में मंत्री पी.सी.शर्मा ने काफी मशक्कत और दिलचस्पी ली। जबकि रेखा शर्मा इस पद के लायक ही नहीं हैं। रेखा शर्मा की शिक्षा और अनुभव को देखा जाए तो वह हाईस्कूल की प्रिंसीपल तो बन सकती हैं लेकिन हायर सेकेण्डरी स्कूल की नहीं, लेकिन पी.सी.शर्मा ने राजनैतिक पहुँच और ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर नियम विरूद्ध कारनामे को अंजाम दिया। रेखा शर्मा को मॉडल स्कूल का प्रिंसीपल बनाये जाने के पीछे पी.सी.शर्मा की नीति और नियत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एक बात जरूर है कि रेखा शर्मा और पी.सी.शर्मा के गहरे रिश्ते रहे हैं और अभी भी हैं। काफी समय से दोनों में एक-दूसरे से करीबी संबंध रहे हैं। यही कारण है कि पी.सी.शर्मा ने अपने विभाग से हटकर दूसरे विभाग में घुसपैठ कर अनैतिक कार्य को अंजाम दिया।
 रेखा शर्मा से पहले मॉडल स्कूल के प्राचार्य एस.के. रैनीवाल थे।  रैनीवाल के कार्यकाल में स्कूल ने काफी सराहनीय कार्य किये हैं। परीक्षा परिणाम बेहतर रहे हैं। बावजूद उसके उनका  रतलाम के मॉडल स्कूल में ट्रांसफर कर दिया गया है। यानी रैनीवाल को हटाने का कोई भी कारण नही था। अगस्त 2019 में उन्हें भोपाल के  मॉडल स्कूल से हटाकर रतलाम भेज दिया गया। सिर्फ रेखा शर्मा को प्रिंसीपल बनाने के लिए ऐसा किया गया। रेखा शर्मा के प्रिंसीपल बनाये जाने से मॉडल स्कूल की सॉख भी खतरे में पड़ने से इंकार भी नहींं किया जा सकता क्योंकि एक और जहां रेखा शर्मा इस पद के लायक नही है वहीं दूसरे और पी.सी.शर्मा का हस्तक्षेप भी मॉडल स्कूल में बढ़ जायेगा। चूंकि भोपाल का मॉडल स्कूल प्रतिष्ठित स्कूल रहा है। इस स्‍कूल का पूरे प्रदेश भर में नाम है। यह बड़ा दुखद पहलूू है कि हमारी शिक्षा संस्‍थानों में भी पी.सी.शर्मा जैसी राजनैतिक अपनी मनमर्जी चला लेते हैं। यह बात सच है कि स्कूल से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई राजनेता और मनोज श्रीवास्तव जैसे कई आईएएस पढ़कर निकले हैं। इस स्कूल की अपनी एक अलग पहचान है। सरकार के शिक्षा मंत्री को भी इस कदम का विरोध करना चाहिए। आखिर शैक्षणिक संस्‍थाओं इस तरह के अनैतिक कार्य कई तरह के  सवाल खड़े करते हैंं। अब सवाल उठता है कि यदि शैक्षणिक संस्थाओें में भी राजनैतिक हस्‍तक्षेप होता रहेगा तो हमारी शिक्षा पद्धति का क्या हाल होगा? क्या पी.सी.शर्मा को अपनी निकटता बढ़ाने के लिए नियम विरूद्ध कार्य करना चाहिए? क्या पी.सी.शर्मा को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए था? ऐसे तमाम सवाल हैं जो पी.सी.शर्मा का असली चेहरा उजाकर करते हैं।


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