पत्रकारों की जांच करवाने लगे मंत्री पी.सी.शर्मा!
कमलनाथ सरकार के मंत्री पी.सी.शर्मा अब जनसंपर्क विभाग के साथ-साथ खुफिया विभाग की भी जिम्मेदारी संभालने लगे हैं। जी हां, बात ही कुछ ऐसी है कि उन्हें खुफिया विभाग का मंत्री कहना पड़ रहा है। पत्रकारों के लिए काल बनकर उभरे मंत्री शर्मा ने जनसंपर्क विभाग में मेरे खिलाफ जांच करने को बोला है। विश्वस्त सूत्रों से सटीक जानकारी मिली है कि पी.सी.शर्मा ने जनसंपर्क विभाग के उच्च अधिकारी को इसका जिम्मा़ सौंपा है। यदि यह बात सच है तो पत्रकारों के लिए इससे बुरा दौर नही होगा। इतिहास में पहली बार होगा जब जिस विभाग से पत्रकारों को प्रोत्साहित किया जाता है उसी विभाग में उनकी जांच की जाएगी। प्रदेश के इतिहास में पत्रकारों के लिए हर दिन काला दिवस हो रहा है। मैं जनसंपर्क मंत्री की सच्चाई प्रकाशित कर रही हूँ। ये मेरा पेशा है। यदि इस सच्चाई में कुछ गलत है तो न्यायालय में जाने का रास्ता खुला है। मंत्री कोर्ट जाएं। इस तरह की जांच कराकर क्या हासिल करना चाहते हैं? निश्चित है मेरी लेखनी में सच्चाई है और कहीं न कहीं जनसंपर्क मंत्री गलत हैं, जिसकी खुन्नास वह मुझे प्रताडि़त कर निकालना चाहते हैं। पिछले एक साल में कमलनाथ सरकार मुझे परेशान कर रही है। पहले मेरी जनसंपर्क विभाग से विज्ञापन और सुविधाएं छीनीं, अब इस तरह के हथकंडे अपनाकर कहीं न कहीं धमकी दी जा रही है, लेकिन मैं इससे डरने वाली नही हूँ। क्योंकि मैंने हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के साथ पत्रकारिता की है और करूँगी। मुझे बेहद अफसोस है कि लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ को इस तरह पंगु बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। मेरे जैसे हजारों पत्रकार हैं जो इस तरह के दंश झेलने को मजबूर हैं। प्रदेश के ऐसे हजारों पत्रकार हैं जो वर्षों से पत्रकारिता पेशे से जुड़े हैं जिन्हें 26 जनवरी और 15 अगस्त पर जनसंपर्क विभाग से विज्ञापन जारी होते थे, लेकिन कमलनाथ सरकार ने विशेष अवसरों पर दिये जाने वाले विज्ञापनों को भी बंद कर दिया है। यह भी नही है कि विभाग के पास फंड नही है। फंड है लेकिन ये फंड कहा जा रहा है और किसे बांटा जा रहा है। यह बात समझ से परे हैं। पी.सी.शर्मा के अहंकार की ये पराकाष्ठा है, लेकिन ऊपर वाले के यहां देर है अंधेर नही है।
आखिर मेरी जांच करवाकर पी.सी.शर्मा क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या मुझे डराना चाहते हैं? डरते वो है जो गलत होते हैं। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्री शर्मा को अपने पद की गरिमा का ख्याल तो रखना चाहिए, जो ओछेंपन की हदें पार करने पर उतारू हो गए हैं। पद और पॉवर उन्हें गलत कामों के लिए मिला है क्या? आखिर सवाल उठता है कि प्रदेश के मुखिया ऐसे मंत्री को कब तक झेलते रहेंगे। बड़ा सवाल है। क्या सीएम कमलनाथ अनभिज्ञ है या जान बूझकर अनभिज्ञ बने हुये हैं?