मध्य प्रदेश का चर्चित ई टेंडर घोटाला

मध्य प्रदेश के नामी ई टेंडर घोटाले के मामले में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मुश्किलें बढ़ सकती है। विशेष न्यायाधीश संजीव पांडे  ने ई-टेंडर घोटाला मामले के आरोपी पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के तत्कालीन निज सचिवों वीरेंद्र पांडे और निर्मल अवस्थी को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने के आदेश दिए हैं।


विशेष न्यायाधीश ने जांच एजेंसी को दोनों आरोपियों का पुलिस रिमांड देते वक्त तीन शर्तें रखी हैं। न्यायाधीश ने लिखा है कि रिमांड के दौरान आरोपियों के साथ मारपीट नहीं की जाएगी और न ही उन पर दबाव डालकर कोई कार्यवाही की जाएगी। आरोपियों  के स्वास्थ्य और कुशलक्षेम का उत्तरदायित्व ईओडब्ल्यू की निरीक्षक रीना शर्मा का होगा। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि पुलिस रिमांड के पूर्व और रिमांड अवधि खत्म होने के बाद दोनों ही स्थिति में आरोपियों का मेडिकल परीक्षण करवाया जाए और उसकी रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए।  गौरतलब है कि जब इस मामले में ईओडब्लू ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश किया था तो उनके वकीलों ने कहा था कि जांच एजेंसी दोनों आरोपियों पर दबाव डाल कर पूछताछ कर रही हैं। जिला अभियोजन अधिकारी राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि फिलहाल अदालत से तीन दिन का पुलिस रिमांड मिला है इस दौरान आरोपियों से पूछताछ की जाएगी। यदि इसके बाद भी आवश्यकता हुई तो न्यायालय मे फिर से रिमांड मांगे जाने की अर्जी पेश की जाएगी। 


मालूम हो कि ईओडब्ल्यू ने 27 जुलाई को निर्मल और वीरेंद्र को विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में पेश कर पूछताछ  के लिए पांच दिन के रिमांड की मांग की थी। अदालत ने उचित कारण न होने से ईओडब्ल्यू के आवेदन को निरस्त कर आरोपियों  को  जेल भेज दिया था। जिला अभियोजन अधिकारी ने  बुधवार  को विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में आवेदन पेश कर कहा था कि आरोपियों के घरों से जब्त दस्तावेजों में अनेक बेनामी संपत्तियों के बारे में जानकारी मिली है। दोनों आरोपियों  के अनेक राष्ट्रीयकृत एवं ग्रामीण बैंकों में अकाउंट मिले हैं। इस संबंध में भी आरोपियों से पूछताछ करने के लिए उन्हें अनुमति दी जाए और पांच दिन का पुलिस रिमांड मंजूर किया जाए।


मामले की सीबीआई जांच कराए सरकार
पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा सरकार ईओडब्ल्यू पर दबाव डालकर राजनीतिक प्रतिशोध पूरा करना चाहती है। हम चाहते हैं कि सरकार इसकी सीबीआई जांच कराए अथवा हम न्यायालय की शरण में जा सकते हैं। नौ केसों पर एफआईआर हुई। आज तक मेरे अलावा किसी को नहीं बुलाया गया और न ही उन्हें नोटिस दिया गया। मेरे विभाग के केवल दो केस हैं। सात दूसरे विभाग के हैं। इससे यह पता चलता है कि पक्षपातपूर्ण कार्यवाही की जा रही है। मेरे कर्मचारी कोर्ट में लिखित में दे चुके हैं कि हमसे नरोत्तम मिश्रा का नाम लेने को कहा जा रहा है


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