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16 Oct 2024, Wed

नशा सिर्फ समाज के लिए नहीं बल्कि नशा करने वाले के लिए व्यक्तिगत रूप से भी हानिकारक

 

 

विद्यार्थी समुदाय नशे के आदी व्यक्तियों को इसकी बुराइयों से परिचित कराते हुए जन जागरूकता का काम करे –

शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में मद्य निषेध सप्ताह के अंतर्गत वाद विवाद एवं निबंध प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन

सागर / राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती की अवसर पर शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय द्वारा मद्य निषेध सप्ताह के अंतर्गत वाद विवाद एवं निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सरोज गुप्ता के निर्देशन में प्रतियोगिताओं का आयोजन कार्यक्रम प्रभारी डॉ प्रतिभा जैन व डॉ संदीप सबलोक द्वारा संपन्न कराया गया।

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शासन के सामाजिक न्याय विभाग की ओर से आयोजित की गई वाद विवाद प्रतियोगिता “नशे के खिलाफ अभियान प्रशासन की जिम्मेदारी” तथा निबंध प्रतियोगिता “मद्यपान से मुक्ति” विषयों पर रखी गई। प्रतियोगिताओं में प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए अपने-अपने विचार रखे। विषय के पक्ष में बोलते हुए छात्र-छात्राओं ने नशे के खिलाफ अभियान को सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बताते हुए प्रशासन द्वारा किए जाने वाले प्रयासों को नाकाफी बताया। वही विषय के विपक्ष में बोलते हुए छात्र-छात्राओं ने नशे को सामाजिक अभिशाप के तौर पर एक सामाजिक बुराई बताया और इसे सामाजिक जन जागरूकता के द्वारा रोके जाने पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन व आभार ज्ञापन साप्ताहिक कार्यक्रम प्रभारी डॉ राणा कुंजर सिंह ने किया।
प्रतियोगिताओं के समापन पर कार्यक्रम प्रभारी डॉ प्रतिभा जैन ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा नशा सिर्फ समाज के लिए नहीं बल्कि नशा करने वाले के लिए व्यक्तिगत रूप से भी हानिकारक है। मादक पदार्थों के सेवन से याददाश्त में कमी, शारीरिक कमजोरी जैसी सामान्य बीमारियों के साथ साथ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी होती हैं। जिनसे नशा करने वाले व्यक्ति का पूरा परिवार प्रभावित होता है। आयोजक सदस्य डॉ संदीप सबलोक ने कहा कि नशे के कारण आज कई परिवार विघटन के कगार पर हैं। इसे रोकने के लिए विद्यार्थी समुदाय को आगे आकर नशे के आदी व्यक्तियों को इसकी बुराइयों से परिचित कराते हुए जन जागरूकता का काम करना चाहिए।
वाद विवाद प्रतियोगिता के दौरान सृष्टि बोहरे, शिवानी विश्वकर्मा, ज़ूलिमा भारती, पूनम चौरसिया, दिव्या राजपूत, माया राठौर, प्रशांत राजपूत, जितेंद्र सौंरआदि ने विषय के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार रखे।

 

By archana

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