सुनील त्रिपाठी/रवींद्र आर्या
प्रखर न्यूज़ ब्यूज एक्सप्रेस
विश्नोई समुदाय की स्थापना गुरु जंभेश्वर जी ने 15वीं सदी में राजस्थान, भारत में की थी। गुरु जंभेश्वर, जिन्हें “जाम्भोजी” के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 1451 ईस्वी में राजस्थान के नागौर जिले के पीपासर गांव में हुआ था। उन्होंने समाज में पर्यावरण संरक्षण, करुणा और अहिंसा के सिद्धांतों को प्रसारित किया।
गुरु जंभेश्वर जी ने 1485 ईस्वी में अपने अनुयायियों को 29 नियम (विश=20 + नौ=9 = 29) दिए, जिनका पालन विश्नोई समुदाय आज भी करता है। ये 29 नियम पर्यावरण संरक्षण, मानवता, अहिंसा, और आत्मिक अनुशासन पर आधारित हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं: वृक्षों की रक्षा करना, जीवों को नुकसान न पहुंचाना, मद्यपान और नशीले पदार्थों से दूर रहना, और सदाचारपूर्ण जीवन जीना।
विश्नोई समाज का पर्यावरण संरक्षण के प्रति गहरा समर्पण है। इसकी सबसे प्रसिद्ध घटना 1730 की “खेजड़ी वृक्ष आंदोलन” (चिपको आंदोलन) है। इस घटना में अमृता देवी विश्नोई और उनके 363 साथियों ने खेजड़ी के वृक्षों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जब जोधपुर के महाराजा के सैनिक पेड़ों को काटने के लिए आए थे। यह घटना विश्नोई समुदाय के पर्यावरण प्रेम और बलिदान का प्रतीक मानी जाती है।
गुरु जंभेश्वर जी के उपदेश और 29 नियम पर्यावरण और समाज के प्रति विश्नोई समुदाय की समर्पण भावना को दर्शाते हैं। वे एक प्रकृति प्रेमी संत के रूप में जाने जाते हैं और उनके विचारों के कारण ही विश्नोई समुदाय ने प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
गुरु जंभेश्वर, उन्होंने ही समाज में पर्यावरण संरक्षण, करुणा और अहिंसा के सिद्धांतों को प्रसारित किया था।
विश्नोई समुदाय की काले हिरण के प्रति गहरी आस्था और संरक्षण भावना के पीछे एक गहरी ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता है। विश्नोई समुदाय, जो गुरु जंभेश्वर जी के 29 नियमों का पालन करता है, अपने पर्यावरण-संरक्षण के सिद्धांतों में वन्यजीवों की रक्षा को भी प्रमुखता से रखता है। उनके लिए काले हिरण का संरक्षण उनकी धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
विश्नोई समुदाय के लिए काले हिरण का महत्व इसलिए भी है क्योंकि वे इसे प्रकृति और वन्यजीवन के संतुलन का प्रतीक मानते हैं। उनकी मान्यता है कि काले हिरण और अन्य वन्यजीवों की रक्षा करना, भगवान की सेवा करने के समान है। यही कारण है कि विश्नोई समाज अपने आसपास के वन्यजीवों, विशेष रूप से काले हिरण की रक्षा के लिए अपनी जान तक न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं हटता।
इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण 1998 का है, जब फिल्म अभिनेता सलमान खान द्वारा काले हिरण का शिकार किया गया था। इस घटना के बाद विश्नोई समुदाय ने न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। इस घटना ने विश्नोई समुदाय की काले हिरण के प्रति संवेदनशीलता और संरक्षण के प्रति उनकी अडिग निष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया।
विश्नोई समाज का मानना है कि काले हिरण के संरक्षण से ही पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखा जा सकता है। यही कारण है कि वे हर उस व्यक्ति और गतिविधि के खिलाफ खड़े होते हैं, जो काले हिरणों और अन्य वन्यजीवों के जीवन के लिए खतरा पैदा करती है। उनका यह समर्पण केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है।