बांधवगढ़ नेशनल पार्क में गुरुवार को दो और हाथियों ने दम तोड़ दिया। दोपहर में 9वें हाथी और शाम को दसवें हाथी की मौत हुई। मामले में एसटीएफ ने डॉग स्क्वॉड की मदद से 7 खेतों और 7 घरों की तलाशी ली है। 5 लोगों से पूछताछ भी की। घटनास्थल से 5 किमी के दायरे में छानबीन की जा रही है। वेटरनरी डॉक्टरों का कहना है कि मौत का कारण फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा।
30 अक्टूबर को बांधवगढ़ नेशनल पार्क का नजारा सामान्य दिनों की तरह नहीं है। दोपहर 12 बजे सलखनिया, खतौली और पतोर रेंज की सीमा पर खुले मैदान में 300 मीटर के दायरे में 10 हाथी पड़े हुए हैं। सभी हाथियों की मौत हो चुकी है। शवों का पोस्टमॉर्टम हो रहा है। पूरे इलाके में लाश की सड़़न की बदबू फैली हुई है।
तीन हाथियों का इलाज करने के साथ ही डॉक्टर और वनकर्मी उसे खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ ही देर में हमारे सामने ही एक हाथी उठ कर जंगल की ओर चला जाता है। दूसरे का इलाज चल रहा है (जिसकी गुरुवार को मौत हो गई)। वहीं तीसरे हाथी को जेसीबी के सहारे उठाने की कोशिश चल रही है वो भी अपने पैर हिलाता है। देखकर ऐसा लगता है कि वो उठ जाएगा, लेकिन कुछ ही देर में उसका शरीर शांत पड़ जाता है। डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देते हैं।
अब गुरुवार को दो और हाथियों की मौत के बाद ये आंकड़ा 10 हो गया है। हाथियों की मौत सामान्य नहीं है। यहां वन विभाग के अफसरों और वेटरनरी डॉक्टरों की टीम हाथियों की सेहत पर नजर रखने के लिए कैम्प कर चुकी है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र में कोदो-कुटकी की फसल को नष्ट करवा दिया है। खेत में ट्रैक्टर चलवाकर पहले फसल नष्ट करवाई, इसके बाद इसे जलवा दिया गया।
वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने एसआईटी का किया गठन
घटना की गंभीरता को देखते हुए मामला केंद्र तक पहुंचा जिसके बाद केंद्र सरकार ने संज्ञान लेते हुए वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने भी भोपाल एसटीएफ के अलावा अपनी एसआईटी की टीम गठित कर दी है
मामले में नियुक्त की गई एसटीएफ ने आसपास के साथ खेत और सात घरों की सर्चिंग की है। इसके अलावा जांच दल 5 किलोमीटर के दायरे में शिकार और जहरखुरानी समेत तमाम बिंदुओं पर जांच भी कर रहा है।