Breaking
26 Dec 2024, Thu

मथुरा के वात्सल्य ग्राम की गौशाला में दुनिया की सबसे छोटी पुंगनूर गाय आई है। रविन्द्र आर्य, वात्सल्य ग्राम में रहने वाले बच्चों की शक्ति और बुद्धि बढ़ाने में पुंगनूर गाय मददगार साबित होगी।

रिपोर्ट: रविन्द्र आर्य

मथुरा। जी हां, दुनिया की सबसे छोटी गाय मानी जाने वाली पुंगनूर नस्ल की गाय अब मथुरा के वात्सल्य ग्राम की कामधेनु गौशाला में है। यह पहली बार है कि इस प्रजाति की गाय मथुरा की किसी गौशाला में आई है। इसका मुख्य उद्देश्य इस दुर्लभ नस्ल का संरक्षण और संवर्धन करना है।
मथुरा के वात्सल्य ग्राम की कामधेनु गौशाला में अब पहली बार दुनिया की सबसे छोटी पुंगनूर गाय आई है। मथुरा की किसी भी गौशाला में अब तक इस तरह की गाय नहीं थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी किसी ने इस नस्ल की गाय भेंट की थी।
यह पुंगनूर गाय दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की गाय है, और मथुरा के वात्सल्य ग्राम की कामधेनु गौशाला में इसके आने से दीदी मां साध्वी ऋतंबरा काफी उत्साहित हैं. गाय की यह नस्ल आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर शहर में पाई जाती है, इसलिए इसका नाम पुंगनूर गाय रखा गया है. इसकी औसत लंबाई दो से ढाई फीट होती है और इसका दूध सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है.

वात्सल्य ग्राम की अधिष्ठात्री दीदी मां साध्वी ऋतंबरा ने बताया कि पुंगनूर गाय दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की गाय है. जिस तरह हरियाणा में पाई जाने वाली गाय का नाम हरियाणा नस्ल है, उसी तरह यह गाय दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर शहर में पाई जाती है, इसलिए इस गाय का नाम इसके शहर पुंगनूर के नाम पर रखा गया है.

इस गाय की औसत लंबाई दो से ढाई फीट होती है लेकिन धीरे-धीरे यह नस्ल विलुप्त होने के कगार पर है।

इसके दूध में अन्य गायों की तुलना में अधिक चर्बी होती है। इसका दूध अन्य गायों की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है। लोग इसके मूत्र और गोबर को बेचकर भी व्यापार करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे यह नस्ल विलुप्त होने के कगार पर है। वात्सल्य ग्राम में भारतीय नस्ल की गायों की श्री कामधेनु गौशाला पहले से ही स्थापित है। वात्सल्य ग्राम के जनसंपर्क अधिकारी उमाशंकर राही ने बताया कि स्वर्ण कपिला गाय और पुंगनूर गाय की गौशाला अलग-अलग बनाई गई है। जिसमें तीन स्वर्ण कपिला और पांच पुंगनूर नस्ल की गाय हैं। इन गायों को पालने का मुख्य उद्देश्य इनकी रक्षा और संवर्धन करना है। गायों को गौशाला भेजने से पहले उनकी विधिवत पूजा की गई और आरती भी उतारी गई। गायों को बहुत ही करीने से सजाया भी गया है।

गौशाला का उद्घाटन करते हुए संजय भैया ने कहा कि वात्सल्य ग्राम में यह पहली गौशाला है जो दीदी मां साध्वी ऋतंभरा की इच्छा पर बनाई गई है। पुगनुर गाय का दूध अन्य गायों की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है, इन गायों का दूध वात्सल्य ग्राम में रहने वाले बच्चों की शक्ति और बुद्धि बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।

लेखक
रविंद्र आर्य
9953510133

By archana

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *