हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू धर्मगुरु चिन्मयानंद महाराज को हिरासत में लिए जाने की घटना ने न केवल हिंदू समाज बल्कि समूचे भारत के नागरिकों को गहराई से आहत किया है। महाराज जी एक प्रतिष्ठित संत हैं, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का संदेश देते हुए वर्षों से मानवता की सेवा में संलग्न हैं। उनकी गिरफ्तारी न केवल उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।
यह घटना भारतीय मूल के नागरिकों और धर्मगुरुओं के प्रति असुरक्षा की भावना उत्पन्न करती है। बांग्लादेश में पहले से ही हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में इस प्रकार की घटनाएँ स्थिति को और अधिक विकट बना सकती हैं।
माँगें:
भारत सरकार बांग्लादेश सरकार से तत्काल वार्ता करके चिन्मयानंद महाराज की अविलंब रिहाई सुनिश्चित करे।
बांग्लादेश में भारतीय मूल के नागरिकों और धर्मगुरुओं की सुरक्षा हेतु विशेष कूटनीतिक पहल की जाए।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक दीर्घकालिक नीति तैयार की जाए।
इस घटना को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
हम यह विश्वास करते हैं कि भारत सरकार अपने नागरिकों, धर्मगुरुओं और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। यह घटना न केवल भारत की प्रतिष्ठा बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी संवेदनशील है।
इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाए और भारत के नागरिकों को यह विश्वास दिलाया जाए कि उनकी सुरक्षा और सम्मान सरकार की प्राथमिकता है।