सुनील त्रिपाठी
प्रखर न्यूज़ ब्यूज एक्सप्रेस
महंत नारायण गिरी महाराज, महंत मच्छेंद्र पुरी और मिस वर्ल्ड टूरिज्म इशिका तनेजा के महाकुंभ पर विचार
प्रयागराज।परम पूज्य महंत नारायण गिरी महाराज का 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को लेकर अत्यधिक सकारात्मक और प्रेरणादायक दृष्टिकोण है। उनका मानना है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि समाज को एकजुट करने और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का एक महान अवसर है। उनके अनुसार, महाकुंभ में संतों, भक्तों और श्रद्धालुओं का संगम आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है, जो समाज में शांति, सद्भाव और धर्म की स्थापना करता है।
महंत नारायण गिरी का मानना है कि महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति, योग, और सनातन परंपरा का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से इस आयोजन में आस्था और समर्पण के साथ भाग लेने की अपील की है।
महाकुंभ का महत्व
प्रयागराज का महाकुंभ एक वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। इसकी महत्ता और दृष्टिकोण हिंदू और संत समाज के लिए अत्यंत गहरे और महत्वपूर्ण हैं।
महंत नारायण गिरी महाराज ने घोषणा की है कि 2025 के भारत के पवित्र महाकुंभ में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाएगा। उनका मानना है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सनातन धर्म के वैश्विक महत्व को प्रदर्शित करने का एक अनूठा मंच है।
इस निमंत्रण का उद्देश्य भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करना है। महंत नारायण गिरी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप जैसे वैश्विक नेताओं की उपस्थिति न केवल महाकुंभ के गौरव को बढ़ाएगी, बल्कि यह भारतीय आध्यात्मिकता और सनातन परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान दिलाने में सहायक होगी।
इस निमंत्रण के माध्यम से, महाकुंभ 2025 को वैश्विक शांति, सहयोग और सांस्कृतिक एकता का संदेश देने का माध्यम बनाया जा रहा है।
प्रयागराज महाकुंभ की विशेषताएं
तीर्थों का संगम:प्रयागराज महाकुंभ त्रिवेणी संगम पर आयोजित होता है, जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। इसे अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है, और यहाँ स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है।
सांस्कृतिक धरोहर:महाकुंभ भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन है। इसमें लाखों साधु-संत, योगी और श्रद्धालु भाग लेते हैं, जिससे यह आयोजन भारत की विविधता और एकता का प्रतीक बनता है।
*पवित्र स्नान:* मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा और माघ अमावस्या जैसे प्रमुख स्नान पर्वों का विशेष महत्व है। इन अवसरों पर संगम में स्नान करने से आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
*धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान का आदान-प्रदान:*
महाकुंभ संतों और महात्माओं के उपदेश, साधना और प्रवचनों का मंच प्रदान करता है। यह भारतीय दर्शन और योग के माध्यम से लोगों को आत्मिक चेतना से जोड़ता है।
हिंदू और संत समाज का दृष्टिकोण
आध्यात्मिक उन्नति का अवसर: हिंदू समाज और संत महाकुंभ को ऐसा अवसर मानते हैं, जहाँ लाखों लोग अपने पापों का प्रायश्चित कर आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं। संत मानते हैं कि महाकुंभ में स्नान करने से आत्मिक बल मिलता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
सनातन परंपरा की स्थापना: संतों के लिए महाकुंभ धर्म की महत्ता स्थापित करने का साधन है। यह आयोजन धर्म की जड़ों को गहरा करता है और समाज में नैतिकता और आदर्शों का प्रचार करता है।
धर्म की एकता:महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों, मठों और सम्प्रदायों के संतों का संगम हिंदू धर्म की विविधता में एकता का प्रतीक है। यह समाज को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
*वैश्विक आध्यात्मिकता का प्रचार:* आधुनिक युग में, जब भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को विश्व स्तर पर मान्यता मिल रही है, महाकुंभ भारतीय संस्कृति को प्रसारित करने का प्रमुख माध्यम बन गया है।
मिस वर्ल्ड टूरिज्म इशिका तनेजा के विचार
अभिनेत्री, मिस वर्ल्ड टूरिज्म और अब एक सशक्त आध्यात्मिक वक्ता इशिका तनेजा ने कहा, “मैं कुंभ मेले को सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखती हूँ, जो वैश्विक स्तर पर पर्यटकों को आकर्षित करता है। 2025 का प्रयागराज महाकुंभ न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि आतिथ्य, परिवहन और अन्य सेवा क्षेत्रों में वृद्धि कर भारत की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगा।
हम अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का स्वागत करते हैं, जो न केवल सनातन धर्म की सुंदरता को साझा करेगा बल्कि सांस्कृतिक समझ और शांति को भी बढ़ावा देगा। कुंभ मेले का आध्यात्मिक आकर्षण आगंतुकों और स्थानीय समुदायों दोनों को समृद्ध करता है। वैश्विक आगंतुकों को गले लगाकर हम हिंदू परंपराओं को उजागर करते हैं और उन्हें भारत की आध्यात्मिक जड़ों से गहराई से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं।”
महंत मच्छेंद्र पुरी और अखाड़ों का बयान
महानिर्वाणी अखाड़े के महंत मच्छेंद्र पुरी ने सनातन धर्म और सामाजिक व्यवस्था की पवित्रता और मर्यादा बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों से “थूक जिहाद” जैसी किसी भी असामाजिक गतिविधि का खुलकर विरोध करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन में ऐसी गतिविधियों और “लव जिहाद” पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
महंत मच्छेंद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजनों की पवित्रता बनाए रखने के लिए नकली नोटों, “थूक जिहाद” और अन्य साजिशों पर सख्त निगरानी आवश्यक है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इन गतिविधियों के खिलाफ उठाए गए कदम संवैधानिक और कानूनी दायरे में होने चाहिए, जिससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाए।
धार्मिक मुद्दों पर संवेदनशीलता बनाए रखना और समाधान के लिए शांति और सहिष्णुता का पालन करना अनिवार्य है। इन मुद्दों का प्रभावी समाधान तभी संभव है जब इसे शांतिपूर्ण और कानूनी ढंग से हल किया जाए।