Ustad Zakir Hussain Death: विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है. अमेरिका में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. उन्होंने सेन फ्रांसिसको में अंतिम सांस ली.
उस्ताद जाकिर हुसैन को उनके अद्वितीय योगदान के लिए 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया. इसके साथ ही, उन्हें तीन ग्रैमी अवॉर्ड भी प्राप्त हुए.
तबले पर अपनी अंगुलियों से थाप देकर संगीत का जादू बिखेर देने वाले तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। जाकिर हुसैन को तबले का जादू विरासत में मिला था। उनके पिता अल्ला रक्खा खान भी मशहूर तबला वादक हुआ करते थे। उन्होंने अपने तबले की थाप से दुनियाभर में लोगों को मंत्रमुग्ध किया। अपनी कला और प्रतिभा के दम पर उन्होंने अपने नाम को पूरे विश्व में गूंजने के लिए मजबूर कर दिया। आइए जानते हैं जाकिर हुसैन ने अपना पहला कॉन्सर्ट कब किया और उन्हें किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
मिले 5 ग्रैमी पुरस्कार
उस्ताद जाकिर हुसैन को कुल पांच ग्रैमी अवार्ड मिल चुके हैं। साल 1992 में उन्हें मिकी हार्ट द्वारा सह-निर्मित और निर्मित एल्बम प्लैनेट ड्रम को ‘सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम’ के लिए पहला ग्रैमी पुरस्कार मिला। 8 फरवरी 2009 को उन्होंने ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ के लिए ‘समकालीन विश्व संगीत एल्बम श्रेणी’ में ग्रैमी जीता। इसमें मिकी हार्ट, सिकिरू अडेपोजू और जियोवानी हिडाल्गो ने सहयोग किया था। वहीं, 4 फरवरी 2024 को जाकिर हुसैन को ‘66वें वार्षिक ग्रैमी अवार्ड्स में’ 3 पुरस्कार मिले। पहला ग्रैमी उन्हें ‘पश्तो’ के लिए मिला, जिसे अमेरिकी बैंजो वादक बेला फ्लेक, अमेरिकी बेसिस्ट एडगर मेयर और भारतीय बांसुरी वादक राकेश चौरसिया के सहयोग से लिखा और रिकॉर्ड किया गया था। जाकिर हुसैन को दूसरा ग्रैमी ‘बेस्ट कंटेम्पररी इंस्ट्रूमेंटल एल्बम’ के लिए मिला, जिसे उन्होंने फ्लेक, मेयर और चौरसिया के साथ इक्लेक्टिक क्लासिकल-मीट-जैज एल्बम ‘ऐज वी स्पीक’ के लिए जीता। तीसरा ग्रैमी उन्हें एल्बम ‘दिस मोमेंट’ के लिए मिला, जिसमें विश्व-फ्यूजन बैंड शक्ति ने सहयोग किया था।
11 साल की उम्र में अमेरिका में किया पहला कॉन्सर्ट
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने 11 साल की उम्र में अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया था। यहीं से उन्होंने खुद को कला के क्षेत्र में स्थापित करना शुरू कर दिया। 1973 में उनका पहला एलबम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ आया। इसके बाद उन्होंने अपनी कला और प्रतिभा के दम पर दुनिया भर में नाम कमाया।