madhya pradesh news-मध्यप्रदेश के रीवा में शुक्रवार को प्रेग्नेंट महिलाओं की ऑपरेशन के बाद तबीयत बिगड़ गई. अब इन महिलाओं की याददाश्त जाने की जानकारी सामने आई है, सभी 5 महिलाएं अपने आप को भी नहीं पहचान पा रही हैं. साथ ही किसी तरह की कोई हरकत भी शरीर में नहीं हो रही है. डिलीवरी के बाद से सभी महिलाएं पागलों जैसी हरकतें कर रही हैं.
डिलीवरी के बाद गलत इंजेक्शन या दवाई के ओवरडोज होने की बात कही जा रही है.
क्या है मामला
दरअसल, शुक्रवार शाम से लगाकर देर रात तक रीवा के गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में 5 महिलाओं की डिलीवरी हुई. ऑपरेशन के बाद से ही इन महिलाओं की तबीयत बिगड़ना शुरू हो गई. सभी महिलाएँ अचेत हो गईं. इनमें से 2 महिलाओं की हालत नाजुक बनी हुई है. लेकिन अस्पताल स्टाफ का दावा है कि महिलाओं की हालत ठीक है.
डॉक्टर भी हुए परेशान
अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ राहुल मिश्रा ने बताया कि ऐसा लग रहा है कि व्यूपी बेकेनिक रिस्थैटिक इंजेक्शन की वजह से ये सब हुआ है. इस एंजेक्शन के यूज को हमने पूरी तरह से रोक दिया है. दवाई के रिएक्शन की वजह से हालत बिगड़ी है. जल्दी ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं. हालत में सुधार आए इसलिए आईसीयू में शिफ्ट किया था.
बच्चे को दूध नहीं पिला पाई मां
अपनी पत्नी को लेकर आए शाहिद अली ने कहा ऑपरेशन के पहले सभी महिलाओं की हालत बिल्कुल ठीक थी. लेकिन ऑपरेशन में भारी लापरवाही बरती गई है. हम तो रीवा यह सोचकर आए थे कि यहां पर अच्छा इलाज मिलेगा. यह नहीं मालूम था कि जान पर बन आयेगी. नहीं तो कहीं और ले जाता. पत्नी बच्चे को दूध तक नहीं पिला पाई है. न ही किसी को पहचान पा रही है. कुछ बोल भी नहीं रही है.
दवाई देने के बाद बिगड़ी हालत
पीड़ित महिला के पति अंबुज गुप्ता ने बताया 27 तारीख को पत्नी लक्ष्मी गुप्ता को भर्ती करवाया था. उस समय वह अच्छे से बातें कर रही थी. डिलीवरी का पेन जरूर था, लेकिन ऐसी कोई गंभीर बात नहीं थी. ऑपरेशन हुआ तो उसे बॉटल और इंजेक्शन दिए गए. दवाई देने के कुछ समय बाद हालत ऐसी हो गई कि याददाश्त ही चली गई. बाद में पता चला कि जितनी महिलाओं का ऑपरेशन हुआ है, सबको यही समस्या हो रही है. अगर उसे कुछ हो गया तो हमारे बच्चे का क्या होगा.
डॉक्टरों ने किया था विरोध
22 फरवरी को रीवा के शासकीय अस्पतालों में अमानक दवाओं की सप्लाई को लेकर डॉक्टर्स ने विरोध किया थ. दरअसल, सरकारी अस्पताल में जिन दवाओं से मरीजों का इलाज हो रहा है, उनमें से कुछ दवाओं को अस्पताल के डॉक्टर ही अमानक बता रहे हैं. 21 फरवरी को भी डॉक्टर्स ने हाथों में काली पट्टी बांध कर सांकेतिक प्रदर्शन किया था.