रिपोर्ट: सुनील त्रिपाठी/ रविन्द्र आर्य
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस
प्रयागराज और वाराणसी जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर नकली नोटों का चलन चिंता का विषय है।
उत्तर प्रदेश: सुलेमान और इदरीश उत्तर प्रदेश में नकली नोट चलाते थे, जिसमें 67 वर्षीय सुलेमान बंगाल के मालदा में पंचर ठीक करने के दौरान जाकिर के संपर्क में आया था। जबकि सुलेमान और इदरीश बिहार के वैशाली के रहने वाले हैं और बंगाल के मालदा के जाकिर से दोस्ती करने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में नकली नोट चलाना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि सुलेमान बिहार में 2 लाख नकली नोट पकड़े जाने के बाद हाजीपुर जेल में करीब 6 महीने की सजा काट चुका है।
वह तीर्थ स्थल वाराणसी में नकली नोट चलाने आया था और फरीदपुर के बाईपास में भागते हुए पकड़ा गया। जिसमें 500 रुपये के भारी मात्रा में नकली नोट थे।
जाली नोटों के प्रचलन से न केवल आर्थिक सुरक्षा को खतरा है, बल्कि यह कानून-व्यवस्था के लिए भी चुनौती है।इस मामले में पश्चिम बंगाल के मालदा इलाके का नाम जाली नोटों के गढ़ के रूप में सामने आ रहा है, और इसमें अंतरराज्यीय अपराधियों की संलिप्तता की पुष्टि होती है। सुलेमान और इदरीश जैसे अपराधियों की पृष्ठभूमि और उनकी गिरफ्तारी से पता चलता है कि वे लंबे समय से इस गतिविधि में लिप्त हैं।
जाकिर जैसे सरगना की गिरफ्तारी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जाली नोटों की इस पूरी श्रृंखला को तोड़ने में मददगार हो सकती है। वाराणसी जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर जाली नोटों का प्रचलन न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा देनी चाहिए। जाली नोटों की जड़ों को खत्म करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर सतर्कता और मजबूत जांच प्रक्रिया जरूरी है।