कॉमेडियन सुनील पाल और एक्टर मुश्ताक खान किडनैप मामले में गिरफ्तार अर्जुन कर्णवाल ने रविवार को पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की। मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय वह दरोगा की पिस्टल छीनकर गाड़ी से कूद गया और पुलिस पर फायरिंग कर दी। क्रॉस फायरिंग में उसके पैर में गोली लगी।
अर्जुन को पुलिस ने शनिवार रात पकड़ा था। उसके पास से किडनैप में इस्तेमाल की गई स्कॉर्पियो कार, 2 लाख रुपए और फिरौती में इस्तेमाल किया गया मोबाइल मिला था।
अर्जुन ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उसको लवी टास्क देता था। किसका किडनैप करना है, कितनी फिरौती वसूलनी है, इस पूरी कहानी के बारे में सिर्फ लवी ही जानता था। अर्जुन को सिर्फ उतना ही पता होता था, जितना लवी उसे बताता था।
2 दिसंबर को सुनील पाल काे किडनैप किया था
कॉमेडियन सुनील पाल के मुताबिक उनको 2 दिसंबर की रात हरिद्वार के एक इवेंट में बुलाया गया था। सुनील पाल फ्लाइट से मुंबई से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली से मेरठ के बीच सुनील पाल को किडनैप कर लिया गया। किडनैपर सुनील पाल को मेरठ लाए। आंखों पर पट्टी बांधकर मेरठ में रखा गया।
दोस्तों को फोन करके 8 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई। फिरौती की सारी रकम ऑनलाइन मंगाई गई। इसके बाद बदमाशों ने बेगमपुल के आकाश गंगा ज्वेलर्स से 4 लाख रुपए और जवाहर क्वार्टर में अक्षित सिंघल की शॉप से सवा 2 लाख के जेवरात खरीदे। दोनों जगह पर सुनील पाल के नाम से बिल बनवाए। सुनील पाल के आधार कार्ड और पैन कार्ड की कॉपी भी दी गई।
3 दिसंबर को बदमाशों ने फिरौती के 8 लाख रुपए ऑनलाइन मंगाए। पैसे मिलने के बाद बदमाशों ने 20 हजार मुझे फ्लाइट के टिकट के लिए दिए। इसके बाद लालकुर्ती थाना क्षेत्र में मुझे छोड़ दिया।
सुनील पाल के मुताबिक, 16 दिन पहले पहले अनिल नाम के युवक ने कॉल करके खुद को इवेंट कंपनी का डायरेक्टर बताया। उसने सुनील को हरिद्वार के एक इवेंट में आने को कहा। इसके लिए सुनील पाल को कुछ रकम भी ट्रांसफर की।
2 दिसंबर को सुनील दिल्ली पहुंचे तो इवेंट कंपनी की तरफ से उनको हरिद्वार ले जाने के लिए कार भेज दी गई। सुनील के कार में बैठते ही आरोपियों ने उन्हें बंधक बना लिया।
घटना की कहानी सुनील पाल की जुबानी
मेरठ पुलिस ने कॉमेडियन सुनील पाल को 12 दिसंबर को मुंबई के सांताक्रूज थाने बुलाया था। यहां पर थाना प्रभारी योगेंद्र कुमार ने सुनील के बयान दर्ज किए थे। सुनील पाल ने बताया कि जिंदगी भर वह लोगों को हंसाते रहे, डर से न घबराने की सलाह देते रहे। मगर 2 दिसंबर का दिन उनके लिए बेहद डरावना और कभी न भूलने वाला अनुभव दे गया। मैं कभी इतना नहीं डरा, जितना उस दिन डरा।
मेरी जिंदगी के वो 22 घंटे बेहद डरावने थे। मैं हर पल वहां से भागने के बारे में सोच रहा था, कभी सोचता था क्या मैं सही-सलामत अपनों के बीच पहुंच पाऊंगा।
अपहरण कर आरोपियों ने मुझे बेड पर लिटाया था, मगर वह बेड के पास ही जमीन पर सोते थे। मेरा मोबाइल छीन लिया, पासवर्ड पूछकर उससे मेरी निजी जानकारी हासिल कर ली। इसके बाद आरोपियों ने मुझे डराना और धमकाना शुरू कर दिया। जहर का इंजेक्शन लगाकर जान से मारने की धमकी दी। मुझे टॉर्चर किया।
मैं इतना डर गया था कि आरोपियों ने जो कहा मैंने वो किया, जो बुलवाया, वो मैंने बोला।
सुनील पाल ने बताया कि बिजनौर के रहने वाले लवी पाल और पूर्व पार्षद सार्थक उर्फ रिक्की ने अपने 8 साथियों के साथ एक फर्जी इवेंट कंपनी बनाई। उसके जरिए मुझे बुकिंग करके मेरठ बुलाया। 2 दिसंबर को मुझे और 21 नवंबर को कॉमेडियन मुश्ताक खान को इवेंट के लिए बुक किया। मेरठ पहुंचने पर मुश्ताक खान को अगवा कर लिया गया।
फिर इसी तरह से मुझे हरिद्वार में कार्यक्रम कराने के बहाने बुलाकर मेरठ से अगवा किया गया। हम दोनों को बिजनौर में अगवा करके रखा गया। उन्होंने दिल्ली से मेरठ पहुंचने, फिर किडनैप होने के बाद से छूटने तक की दास्तां पॉइंट टु पॉइंट पुलिस को बताई।