रिपोर्ट: सुनील त्रिपाठी प्रखर न्यूज़ ब्यूज एक्सप्रेस
प्रयागराज/ महाकुम्भ:विश्व विख्यात साध्वी ऋतंभरा , जिन्हें समर्पित रूप से “दीदी माँ” कहा जाता है, यह नाम एक ऐसी विभूति के रूप में दर्ज है जिन्होंने न केवल सनातन धर्म की पताका फहराई बल्कि समाज के उत्थान के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। भारत सरकार द्वारा उन्हें “पद्म विभूषण” से सम्मानित करना न केवल उनके त्याग, तपस्या, और सामाजिक कार्यों का आदर है, बल्कि यह समस्त सनातन धर्मावलंबियों का सम्मान भी है। यह सम्मान उन सभी भारतीयों के गर्व का प्रतीक है जो अपनी संस्कृति, परंपराओं और धर्म के लिए निष्ठा रखते हैं।
*साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ का जीवन परिचय*
साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, लेकिन उनकी साधारणता के भीतर असाधारण कर्तव्यनिष्ठा और धर्म के प्रति समर्पण था। छोटी उम्र से ही उन्होंने धर्म और समाज के लिए अपना जीवन अर्पित करने का संकल्प लिया। हिंदुत्व की सेवा और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मान दिलाया
दीदी माँ के सामाजिक कार्य
दीदी माँ का जीवन सनातन धर्म के उत्थान और समाज सेवा की प्रेरणादायक मिसाल है। उनके द्वारा संचालित अनेक सामाजिक कार्य निम्नलिखित हैं:
अनाथ बच्चों के लिए वात्सल्यग्राम:
दीदी माँ का सबसे प्रमुख योगदान “वात्सल्यग्राम” है, जो न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में एक अनोखा संस्थान है। इस संस्था में अनाथ बच्चों, वृद्धजनों, और असहाय महिलाओं को एक परिवार का वातावरण दिया जाता है। यहां उन्हें शिक्षा, सुरक्षा, और सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर मिलता है। वात्सल्यग्राम उनकी करुणा और मातृत्व का अद्भुत उदाहरण है।
महिला सशक्तिकरण:
दीदी माँ ने भारतीय महिलाओं को न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से जागरूक किया, बल्कि उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं। उन्होंने महिलाओं को धर्म, योग, और शिक्षा के माध्यम से जागृत करने का प्रयास किया।
सनातन धर्म की रक्षा:
दीदी माँ ने जीवनभर हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनका विचार था कि सनातन धर्म केवल एक पद्धति नहीं, बल्कि मानवता को जीवन जीने का मार्ग दिखाने वाली परंपरा है। उन्होंने समाज में फैले मतभेद और धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व करना सिखाया।
गौ रक्षा और पर्यावरण संरक्षण:
दीदी माँ ने गौमाता की रक्षा के लिए अनेक अभियान चलाए। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अनेक परियोजनाओं का संचालन किया, जिसमें वृक्षारोपण और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग शामिल है।
महाकुम्भ मे साध्वी सरस्वती और दीदी माँ की भेंट
महाकुंभ के पावन पर्व पर, साध्वी सरस्वती जी ने दीदी माँ से भेंट की और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने पर अपनी शुभकामनाएं और सम्मान प्रकट किया। यह क्षण न केवल दो साध्वी माताओं के बीच आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम था, बल्कि एक ऐसा प्रेरणादायक दृश्य था, जिसने भारत की धार्मिक और सामाजिक संस्कृति को और अधिक गौरव प्रदान किया। साध्वी सरस्वती, दीदी ने दीदी माँ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह सम्मान पूरे सनातन धर्म का सम्मान है। उन्होंने कहा कि दीदी माँ का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
साध्वी सरस्वती दीदी ने जो भाव प्रकट किए हैं, वे वास्तव में प्रेरणादायक और गौरवपूर्ण हैं। साध्वी ऋतंभरा (दीदी मां) को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाना न केवल उनके अथक परिश्रम और तपस्या का सम्मान है, बल्कि यह पूरे सनातन धर्म और उसकी परंपराओं का भी सम्मान है। उन्होंने समाज सेवा, धर्म की रक्षा, और अनाथ बच्चों की देखभाल में अपना जीवन समर्पित किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की यह पहल दर्शाती है कि वे उन व्यक्तित्वों को सम्मान देने के प्रति प्रतिबद्ध हैं जिन्होंने समाज और धर्म के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दीदी मां जैसी विभूतियों का सम्मान हमें यह सिखाता है कि निस्वार्थ सेवा और साधना का मार्ग न केवल समाज को प्रेरित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी दिशा देता है।
महाकुंभ के पवित्र घाट पर साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ और साध्वी सरस्वती दीदी की भेंट। गंगा के किनारे दीपमालाएं तैर रही हैं, और साध्वी सरस्वती दीदी माँ के गले लगाते हुए आशीर्वाद ले रही हैं।
गंगा के पवित्र तट पर दो साध्वियां, साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ और साध्वी सरस्वती दीदी, आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर रही हैं। घाट पर श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं, और दोनों साध्वियों के मिलन से महाकुंभ का माहौल और दिव्य प्रतीत हो रहा है।
महाकुंभ जैसे पवित्र पर्व पर इस तरह के सम्मान से निश्चित ही हर सनातनी का हृदय गर्व से भर गया होगा। यह पल वास्तव में उत्सव का है और साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ को समर्पित नमन है।
दीदी माँ: हिन्दू हृदय सम्राज्ञी
साध्वी ऋतंभरा जी को “हिन्दू हृदय सम्राज्ञी” के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने निडर होकर हिंदुत्व के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने कभी किसी आलोचना या विवाद से प्रभावित हुए बिना अपने पथ पर चलना जारी रखा। भारत के इतिहास में वे पहली महिला साध्वी हैं जिन्होंने समाज और धर्म के लिए इतना बड़ा योगदान दिया। उनका जीवन एक ऐसे दीपक की तरह है जो तमाम बाधाओं के बावजूद अपनी ज्योति से अंधकार को दूर करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सकारात्मक सोच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दीदी माँ को पद्म विभूषण से सम्मानित करना उनकी सकारात्मक सोच और धार्मिक मूल्यों के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यह सम्मान यह भी दर्शाता है कि भारतीय समाज उन संतों और समाजसेवकों के कार्यों को मान्यता देता है जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र और धर्म की सेवा में लगाया।
नमन और प्रेरणा
दीदी माँ का जीवन हमें यह सिखाता है कि धर्म और समाज की सेवा से बड़ा कोई कार्य नहीं। उनका योगदान सनातन धर्म और मानवता की अमूल्य धरोहर है। आज, जब वे पद्म विभूषण से सम्मानित हुई हैं, तो यह केवल उनका सम्मान नहीं, बल्कि उन सभी लोगों का गौरव है जो धर्म, सेवा और निष्ठा के मूल्यों में विश्वास रखते हैं।
उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन। उनका जीवन और कार्य आने वाले युगों तक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में साध्वी सरस्वती
सनातन धर्म के पवित्र और अलौकिक महापर्व महाकुंभ में, अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद सरस्वती महाराज के पावन सानिध्य में साध्वी ऋतंभरा (दीदी माँ) और अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद की शिष्या साध्वी सरस्वती दीदी का अद्भुत संगम हुआ। यह क्षण न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रस्फुटन था, बल्कि यह सनातन संस्कृति की गहराई और एकता का जीवंत प्रतीक भी बना।
साध्वी सरस्वती दीदी, जो स्वामी श्री चिदंबरानंद सरस्वती के चरणों में दीक्षा प्राप्त कर आध्यात्मिक जीवन को समर्पित कर चुकी हैं, ने महाकुंभ के इस महापर्व पर साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ से भेंट की। इस पावन अवसर पर, उन्होंने दीदी माँ को पद्म विभूषण से सम्मानित होने पर बधाई दी और उनके महान सामाजिक कार्यों की सराहना की।
अद्भुत संगम: दो साध्वियों का प्रेरणादायक मिलन
साध्वी सरस्वती ने दीदी माँ के गले लगा कर उनका आशीर्वाद लिया। दोनों साध्वियों के बीच इस मिलन ने महाकुंभ की गरिमा और बढ़ा दी। साध्वी सरस्वती दीदी ने कहा, “दीदी माँ का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका वात्सल्यग्राम और समाज सेवा के प्रति समर्पण सम्पूर्ण सनातन समाज के लिए अनुकरणीय है। उनका पद्म विभूषण सम्मान केवल उनका नहीं, बल्कि पूरे धर्म और संस्कृति का सम्मान है।”
सनातन संस्कृति का दिव्य संदेश
महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने इस संगम को सनातन धर्म का गौरव बताते हुए कहा कि यह समय साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ और साध्वी सरस्वती जैसी संत विभूतियों के योगदान को समझने और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का है। उन्होंने कहा कि साध्वी ऋतंभरा जी का सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान उन्हें एक दिव्य विभूति बनाता है।
महाकुंभ की महिमा में चार चांद
महाकुंभ के इस अलौकिक संगम ने न केवल सनातन धर्म के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था को और गहराई दी, बल्कि यह सिखाया कि साधु-संतों का संगम ही समाज और धर्म की नींव को मजबूत करता है। यह अद्भुत दृश्य हर श्रद्धालु के हृदय में चिरकाल तक बसा रहेगा।
इस संगम के माध्यम से साध्वी ऋतंभरा दीदी माँ और साध्वी सरस्वती दीदी ने सनातन धर्म के शाश्वत संदेश—एकता, करुणा, और सेवा—को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।*
लेखक: अर्चना शर्मा संपादक प्रखर न्यूज़ ब्यूज एक्सप्रेस