हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया है। वे 89 साल के थे। शुक्रवार को वे गुरुग्राम में अपने घर पर थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ा। जिसके बाद साढ़े 11 बजे उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में लाया गया। करीब आधे घंटे बाद दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
इसका पता चलते ही उनके बड़े बेटे अजय और पोते पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अस्पताल में पहुंचे। वहीं अस्पताल के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है।
चौटाला हार्ट और डायबिटीज समेत कई बीमारियों से ग्रस्त थे। उनका पहले से ही गुरुग्राम के मेदांता और आरएमएल अस्पताल में इलाज चल रहा था।
ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, सीएम नायब सैनी, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल समेत बड़े नेताओं ने शोक जताया।
पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के सबसे बड़े बेटे थे ओपी चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 5 संतानों में सबसे बड़े थे। उनका जन्म 1 जनवरी, 1935 को हुआ। वे 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। शुरुआती शिक्षा के बाद ही चौटाला ने पढ़ाई छोड़ दी थी। 2021 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान जब चौटाला तिहाड़ जेल में बंद थे, तब उन्होंने 86 साल की उम्र में 10वीं-12वीं की परीक्षा पास की।
आज (20 दिसंबर) शाम तक उनका पार्थिव शरीर सिरसा स्थित उनके पैतृक गांव चौटाला लाया जाएगा। कल सुबह 8 से 2 बजे तक उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए रखी जाएगी। कल दोपहर 3 बजे सिरसा में तेजा खेड़ा फार्म के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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पहला चुनाव हार गए थे चौटाला, उपचुनाव में जीते ओमप्रकाश चौटाला की चुनावी राजनीति की शुरुआत 1968 में शुरू हुई। उन्होंने पहला चुनाव देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा। उनके मुकाबले पूर्व सीएम राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी से लालचंद खोड़ ने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में चौटाला हार गए।
हालांकि हार के बाद भी चौटाला शांत नहीं बैठे। उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट पहुंच गए। एक साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी। 1970 में उपचुनाव हुए तो चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।