Mohan Bhagwat News: उत्तर प्रदेश में हाल ही के दिनों में मंदिर-मस्जिद विवाद के मामलों में इजाफा देखने को मिला है. चाहे वो संभल की मस्जिद का विवाद हो या बदायूं और जौनपुर की. इन घटनाओं की वजह से सूबे में सांप्रदायिक तनाव भी बढ़ा है. लगातार हो रहीं मस्जिदों के सर्वे के मांग को लेकर यूपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष के एक नेता ने तंज कसते हुए यह भी कहा है कि इस समय ‘भारत खोदो योजना’ चल रही है. इसी बीच इन्हीं घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा और सख्त बयान दिया है. बता दें कि भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोग ऐसे मुद्दों को उछालकर खुद को ‘हिंदुओं के नेता’ साबित करना चाहते हैं. हालांकि, भागवत ने यह बयान किसी का नाम लिए बगैर दिया है और यह कह पाना मुश्किल है कि उन्होंने यह बात किसके लिए कही है.
हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा: भागवत
भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था. उन्होंने किसी विशेष स्थल का उल्लेख किए बिना कहा, “हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है. इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता. भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं. अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है. राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह स्वीकार्य नहीं है.”
भागवत ने औरंगजेब का जिक्र कर ये कहा
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए. उन्होंने कहा, “लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है. इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं. अधिपत्य के दिन चले गए.” उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन भी इसी तरह की कट्टरता से पहचाना जाता था, हालांकि उसके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था.”
वर्चस्व की भाषा का इस्तेमाल क्यों?
भागवत ने इतिहास का संदर्भ देते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं को दिए जाने का निर्णय पहले ही लिया गया था, लेकिन अंग्रेजों ने दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी. इस अलगाववाद की भावना ने अंततः पाकिस्तान के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सभी खुद को भारतीय मानते हैं तो फिर “वर्चस्व की भाषा” का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत में सभी समान हैं और यहां अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक के भेद का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने भारतीय परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि यहां हर किसी को अपनी पूजा पद्धति का पालन करने की स्वतंत्रता है. आवश्यकता इस बात की है कि सभी लोग नियमों और कानूनों का पालन करें और आपसी सद्भावना बनाए रखें