मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का फलाहारी बाबा अवतार : बजरबट्टू सम्मेलन में साधु बने विजयवर्गीय, निकाली गई शोभायात्रा
इंदौर में रंगपंचमी की पूर्व संध्या पर बजरबट्टू सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। पहले शोभायात्रा निकाली जा रही हैं। इसमें इस बार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय श्री पितरेश्वर धाम के फलाहारी बाबा का गेटअप लेकर शामिल हो रहे हैं। वह रथ पर सवार होकर निकले

इंदौर में रंगपंचमी की पूर्व संध्या पर बजरबट्टू सम्मेलन किया जा रहा है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय साधु का गेटअप लिए हैं। विजयवर्गीय ने कहा, इंदौर तो त्योहारों का ही शहर है।
रंगपंचमी की पूर्व संध्या पर इंदौर के मल्हारगंज क्षेत्र में हर साल बजरबट्टू सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इसमें कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अलग-अलग गेटअप में शामिल होते रहे हैं। इस बार वे साधु बने।
शोभायात्रा में डीजे-बैंड की धुनों पर लोग नाचते हुए आगे बढ़ रहे हैं। बच्चियां साफा बांधकर पहुंची। साधु-संत भी इसमें शामिल हो रहे हैं। शोभायात्रा के बाद हास्य कवि सम्मेलन होगा। इसमें कई नामी कलाकारों ने प्रस्तुति दी ।
विजयवर्गीय बोले-इंदौर तो त्योहारों का ही शहर विजयवर्गीय ने कहा, "इंदौर तो त्योहारों का ही शहर है। यहां रंग पंचमी बहुत मस्ती और उत्साह के साथ मनाई जाती है। मुझे नहीं लगता कि दुनिया में कहीं और इस तरह का रंग पंचमी उत्सव मनाया जाता होगा। पूरा शहर मानो सड़कों पर उतर आता है, लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, कोई किसी को पहचानता तक नहीं, फिर भी सभी एक-दूसरे को शुभकामनाएं और बधाइयां देते हैं। यह इस शहर की खूबसूरती है कि यहां के लोग इसे दिल से प्यार करते हैं।"
कैलाश विजयवर्गीय ने अब तक कितने रूप बदले
दरअसल, इंदौर के मल्हारगंज क्षेत्र से हर साल रंगपंचमी के पहले बजरबट्टू सम्मेलन और शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम की खास बात यह है कि आयोजन समिति शहर के गणमान्य नागरिकों को अपने हिसाब से तैयार करके शोभायात्रा में शामिल करती है. शोभायात्रा में लोग अलग-अलग रूपों में नजर आते हैं, जिन्हें देखने वाले हास्य व्यंग्य के साथ आयोजन का हिस्सा बन जाते हैं. शोभायात्रा का सबसे खास आकर्षण होता है कैलाश विजयवर्गीय का गेटअप, जिसमें कभी उन्हें शंकर भगवान बनाया जाता है तो कभी राम तो कभी वह तांत्रिक के रूप में नजर आते हैं.
कार्यकर्ताओं की डिमांड पर कैलाश विजयवर्गीय को कभी रॉकस्टार के रूप में मेकअप किया जाता है तो कभी चाचा चौधरी बनाकर उन्हें शोभायात्रा में शामिल किया जाता है. उनके अलावा अन्य लोगों को भी आयोजन की थीम के हिसाब से मेकअप के बाद शोभायात्रा में शामिल किया जाता है. इस दौरान पूरे यात्रा मार्ग में करीब 150 मंचों से शोभायात्रा का स्वागत होता है. इसके बाद हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन होता है और आतिशबाजी के साथ आयोजन का समापन हो जाता है.